CGMSC Scam : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) से जुड़े बहुचर्चित रीएजेंट घोटाले में जेल में बंद अधिकारियों को फिलहाल राहत नहीं मिल सकी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक की नियमित जमानत याचिकाएँ खारिज कर दीं।
इसी प्रकरण में मुख्य आरोपी और मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की जमानत अर्जी को सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। शशांक समेत छह आरोपी इस समय जेल में हैं।
400 करोड़ का घोटाला, तीन एजेंसियों की जांच
जांच एजेंसियों के अनुसार, बाजार में डेढ़ से आठ रुपये तक उपलब्ध ईडीटीए ट्यूब को 352 रुपये प्रति ट्यूब की दर से खरीदा गया। आरोप है कि इसी अंतर ने घोटाले (CGMSC Scam) को 400 करोड़ रुपये से अधिक का रूप दे दिया। इस मामले की जांच ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू तीनों एजेंसियाँ कर रही हैं।
विवेचना पूरी होने के बाद कुछ आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है, जबकि अन्य के खिलाफ जांच अब भी जारी है।
अदालत में पेश दलीलें
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि डॉ. अनिल परसाई को विभागीय आदेशों (CGMSC Scam) के तहत केवल आहरण और संवितरण का अधिकार था, न कि खरीदी का। उनका कहना था कि खरीदी और भुगतान का अधिकार संचालक स्तर पर था।
वहीं अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि एफआईआर और विवेचना दोनों में ही ट्यूब की कीमत को लेकर स्पष्ट विरोधाभास सामने आया है। बावजूद इसके, पूरे मामले में अनियमितताओं और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
इससे पहले, 8 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अन्य आरोपियों को भी राहत देने से इनकार कर दिया।