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CG Vidhansabha: धान पर बवाल, CM ने कहा छत्तीसगढ़ में पुराना चावल खाने की परंपरा और शांत हुआ..

CG Assembly: For the first time in history... Government offices were closed for 9 days.

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रायपुर/नवप्रदेश। CG Vidhansabha: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन गुरुवार को प्रश्नकाल में धान खरीदी के मुद्दे पर विपक्ष की आक्रामकता देखने को मिली।

धान खरीदी को लेकर सवाल किया था कि भाजपा विधायक चंद्रकार ने उन्होंने अपने सवाल पर आये मंत्री भगत के जवाब पर फिर पूछा कि नान को कितने साल पुराना चावल नान को दिया जाता है। क्या इसको लेकर कोई गाइडलाइन है।

क्या एक साल पुराना चावल नॉन को दिया जाता है। इसके बाद भाजपा के अन्य सदस्यों ने धान से जुड़े अपने सवालो के जवाब पर असंतुष्टता जताई। (CG Vidhansabha) नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्री जी कह रहे हैं कि केंद्र से चावल उपार्जन की अनुमति 30 सितंबर को मिलती है।

यदि 30 सितंबर को मंजूरी मिलती है तो इसके पहले राज्य का 21 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में कैसे जमा हो गया। मंत्री जी सफेद झूठ बोल रहे हैं। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि वर्ष 2019-20 का केंद्र से मंजूरी प्राप्त में से कितना चावल सेंटल पूल में दिया जाना शेष है। (CG Vidhansabha) मंत्री भगत से जवाब मिला 2 लाख मीट्रिक टन।

इस पर भाजपा सदस्य और भड़क गए। कहा कि केंद्र को बदनाम किया जा रहा है कि वह मंजूरी नहीं देती। जबकि राज्य सरकार खुद ही धान जमा नही कर पाई है। प्राप्त जवाबो से साफ है कि राज्य सरकार कस्टम मिलिंग समय पर नही कर पा रही है। समितियों में धान संग्रहन केंद्रों में धान सड़ रहा है।

पिछले साल के धान का ही उठाव नही हो रहा है। शेम-शेम करते हुए विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सदन की समिति से जांच की मांग की। स्थिति को भांपते हुए मुख्यमंत्री को मोर्चा सम्भालना पड़ा।

मुख्यमंत्री के खड़े होते ही विपक्ष शांत हुआ। (CG Vidhansabha) मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। केंद्र से जो मंजूरी सितंबर में मिलनी चाहिए वो नही मिलती। इस साल तो 3 जनवरी को प्रधानमंत्री से बात करने पर मिली है।

वो भी 60 लाख मीट्रिक टन की जगह सिर्फ 24 लाख मीट्रिक टन की। मैं केन्द्रीय खाद मंत्री से कल फिर बात करने जा रहा हूँ। ताकि प्रदेश से चावल उपार्जन की मात्रा बढ़ाई जाए। यदि 60 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीदी नही हुई तो नीलामी करनी पड़ेगी जिससे प्रदेश को और आर्थिक नुकसान होगा।

एथेनॉल प्लांट के लिए भी केंद्र से मंजूरी नही मिली है। पिछले साल की परिस्थितियां किसी से छिपी नही है। सरकार की ओर से कोई गड़बड़ी नही की जा रही है। रहा सवाल पुराने चावल की तो सदस्यों की ओर इशारा करते हुए बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ में तो पुराना चावल खाने की परंपरा है। कम से कम साल भर पुराना चावल पंसद किया जाता है। एफसीआई तीन-तीन साल पुराना चावल देता है।

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