CG BJP Internal Politics : विधानसभा चुनावों में हुई बड़ी हार को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और वह लगातार संगठन सर्जरी में लगी हुई है।
विशेष संवाददाता/ नवप्रदेश/ रायपुर। छत्तीसगढ़ (CG BJP Internal Politics) भाजपा में अंदरूनी तौर पर उथल-पुथल जारी है। विधानसभा चुनावों में हुई बड़ी हार को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और वह लगातार संगठन सर्जरी में लगी हुई है। लोकसभा चुनावों में सभी सीटिंग सांसदों के टिकट काटने के सफल प्रयोग के बाद सरोज पाण्डेय को राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाया गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष बदले गये फिर सुपर पॉवर सौदान सिंह की छुट्टी की गई।
इसके अलावा पार्टी द्वारा प्रभारी बनाई गर्ईं डी पुरंदेश्वरी के लगातार हो रहे दौरे और उनके बयान यह सिद्ध कर रहे हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ (cg bjp internal politics) भाजपा के कार्यों से खुश नहीं है और वह यह मानकर चल रहा है कि वर्तमान में पार्टी को जो लोग चला रहे हैं वे भूपेश सरकार का सामना नहीं कर पा रहे हैं। अपना प्रभार लेने के बाद पुरंदेश्वरी ने सबसे पहले संगठन सुधार की बात की थी, लेकिन राज्य में अभी तक भाजपा का संगठनात्मक ढांचा खड़ा नहीं हो पाया है।
बूथ लेवल पर पार्टी को सक्रिय कर पाना तो दूर पार्टी के जिला स्तर के संगठन भी खड़े नहीं हो पाए हैं। पंद्रह साल सत्ता भोग चुके नेताओं की पकड़ इतनी मजबूत है कि कार्र्यकर्ता आज भी हाशिये पर हैं। यही कारण था पार्टी को विधानसभा चुनावों में उतने वोट भी नहीं मिले की जितने उसके छत्तीसगढ़ में प्राथमिक सदस्य थे। गौरतलब है कि मिस्ड कॉल से बनाए गए भाजपा के छत्तीसगढ़ में 64 लाख सदस्य थे और 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 45 लाख वोट के साथ 15 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 64 लाख वोटों के साथ 67 सीट मिली थीं।
इससे साफ जाहिर है कि भाजपा के स्वनामधन्य नेताओं से खफा जमीनी कार्यकर्ताओं व उनके परिवारों ने भी भाजपा को वोट नहीं दिया। लिहाजा एयरकंडीशन कार्यालय में बैठकर जमीन पर उतरने का संदेश पार्टी नेता जब तक अपने कार्यों से नहीं देंगे तब तक पुराना रसूख लौटने की उम्मीद करना बेमानी हैं। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व भी भूपेश की क्षमता से अवगत है और बिहार की तरह वह यहां भी महिलाओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
भूपेश सरकार को घेरने राज्यपाल के रूप में अनुसूईया उइके, केन्द्रीय मंत्री के रूप में रेणुका सिंह, प्रभारी के रूप में पुरंदेश्वरी और सांसद के रूप में सरोज पाण्डेय को काम पर लगाया गया। चार महिलाओं के जरिए की जा रही घेराबंदी निश्चित ही दिलचस्प है। छत्तीसगढ़ में भी नए नेतृत्व को आगे लानेे और पुरानों को मार्गदर्शक मंडल में भेजे जाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। रमेश बैस, नंदकुमार साय के बाद अब अगला नम्बर रमन सिंह, बृजमोहन और कश्यप परिवार का हो सकता है। विष्णुदेव और रामविचार का कद छोटा कर दिया जाना भी इसी का संकेत है।
भाजपा के सह प्रभारी नवीन ने प्रेस कांफ्रेंस में बोल ही दिया है कि युवा नेतृत्व को पुराने नेतृत्व के मार्गदर्शन में आगे लाया जाएगा। जबकि पुरंदेश्वरी ने कहा कि कई बाते हैं जो प्रेस को नहीं बताई जा सकती मतलब खिचड़ी का पकना जारी है और सौदान सिंह, सरोज पाण्डेय जैसे कई चौंकाने वाले निर्णय और सामने आ सकते हैं।
भाजपा भूपेश सरकार के छत्तीसगढिय़ा वाद से बेहद भयभीत दिखाई दे रही है। इसलिए उसके संगठनात्मक ढांचे में लगातार पिछड़े वर्ग की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन जमीन पर पार्टी दो साल में सरकार का कहीं भी सार्थक विरोध नहीं कर पाई है और न ही कार्यकर्ताओं का विश्वास ही अर्जित कर पाई है।
चुने गए 9 सांसद भी सिर्फ अपने पद का लुत्फ उठा रहे हैं। पार्टी के हाल में लिए गए संगठनात्मक निर्णयों से भाजपा का एक तबका तो बेहद खुश है लेकिन ज्यादा समय तक सत्ता सुख भोग चुका तबका भयभीत व नाराज प्रतीत हो रहा है। शायद पुरंदेश्वरी को इसी का तालमेल बिठाने बार-बार छत्तीसगढ़ (cg bjp internal politics) आना पड़ रहा है।