भिलाई/राुयपुर/नवप्रदेश। केंद्र सरकार (central government) ने देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों (labourer) के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें (shramik special train) चलाने का ऐलान किया है। ट्रेनें अभी सभी राज्यों के लिए भी चालू भी नहीं हुई और इन पर सियासत भी गरमा गई है। राजनीतिक दल इन श्रमिकों के टिकट के गणित ज्ञान में उलझे हैं।
वहीं दूसरी ओर इन मजदूरों (labourer) का अपने राज्यों की ओर पैदल पलायन बदस्तूर जारी है। गुरुवार को भिलाई व रायपुर पहुंच चुके प्रदेश समेत अन्य राज्यों के मजदूराें ने नवप्रदेश काे जो कहानी बताई उससे लगता है कि इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन (shramik special train) सेवा के लिए केंद्र (central government) व राज्य सरकारों को और होमवर्क करने की जरूरत है।
मजदूरों की की व्यथा-कथा उन्हीं की जुबानी
आठ दिन पहले निकले तेलंगाना से, फैक्टरी मालिक ने नहीं दिए आधे पैसे
तेलंगाना के निंगमपल्ली से झारखंड के लातेहार जिले के लिए 8 दिन पहले निकला 20 युवा मजदूरों का यह समूह गुरुवार को 11-12 बजे के बीच भिलाई तीन और चरौदा के बीच पैदल चलता मिला। समूह में सबसे आगे चल रहे 22 साल केे प्रकाश गंजू ने बताया कि वे लोग 8 दिन पहले तेलंगाना से पैदल ही निकल गए हैं। जिस फैक्टरी में काम करते थे, वहां के मालिक ने आधा पैसा दिया और आधा इसलिए नहीं दिया कि वापस जब काम पर आओगे तब देंगे। इन मजदूरों ने नवप्रदेश को बताया कि रास्ते में कुछेक ट्रक वालों ने जब उन्हें लिफ्ट देने की कोशिश की तो कुछ ही दूर जाने के बाद पुलिसवालों ने ट्रक रोका और हमें उतार दिया। नागपुर के बाद से कोई ट्रक वाला भी हमें बिठाने के लिए तैयार नहीं।
ट्रक ने लिफ्ट दी तो पुलिसवालों ने उतार दिया
यह तो झारखंड जाने वाले युवा मजदूरों के समूह की पीड़ा। इस मामले में छत्तीसगढ़ के मजदूरों के साथ भी कोई बहुत अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है। टाटीबंध आते-आते लगभग 40 मजदूरों का एक रैला फिर मिला, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे और सिर पर भारी-भारी सामान दिख रहा था। साथ चल रहे पुरुषों ने नवप्रदेश को बताया कि वे हैदराबाद के उईबोड़ा नामक जगह से 8 दिन पहले निकले थे। उन्हें भी एक जगह ट्रक ने लिफ्ट जरूर दी, लेकिन पुलिसवालों ने उतार दिया। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर रायपुर पहुंचा मजदूरों का यह समूह छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले का है।
टाटीबंध पहुंचे तो जांच के लिए कोई मौजूद नहीं
टाटीबंध चौक पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इनके भोजन पानी का इंतजाम तो कर रही है, लेकिन जिला प्रशासन का कोई आदमी इन्हें भिजवाने या इनकी जांच के लिए मौजूद नहीं था।
मजदूरों ने बताया कि महाराष्ट्र में और तेलंगाना में पैदल चलते समय हर 100-50 किमी पर कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भोजन पानी कर देती थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में किसी ने भी खाने-पीने की चीजें नहीं दी। अभी हम जब रायपुर के टाटीबंध चौक पर पहुंचे हैं तो यहां गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लोगों ने हमें रोका है। हमें भोजन देने की बात कही है और हम भोजन का इंतजार कर रहे हैं।