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CCM College Bill:चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण विधेयक पारित, काला कानून बताते हुए विपक्ष ने जताया विरोध

CCM College Bill: Acquisition Bill of Chandulal Chandrakar Medical College passed, opposition protested saying black law

CCM College Bill

रायपुर/नवप्रदेश। CCM College Bill:विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन छत्तीसगढ़ चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कालेज अधिग्रहण विधेयक 2021 पारित हो गया। विधेयक के विरोध में बीजेपी विधायकों ने वॉकआउट किया। इसके पहले बीजेपी सदस्य बृजमोहन अग्रवाल के संशोधन पर मत विभाजन माँगा गया, जिसमें संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में 16 वोट पड़े और प्रस्ताव के विरोध में 56 वोट पड़े। इस दौरान जनता कांग्रेस जोगी दो भागों में बंटी नजर आई। उनके 2 सदस्य बिल के पक्ष में और 2 विपक्ष में रहे। इसके साथ ही विधेयक सदन में ध्वनिमत से पारित हो गया।

उल्लेखनीय है कि सदन में बुधवार को भाजपा विधायकों की आपत्ति के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग (अधिग्रहण) विधेयक 2021 पेश कर दिया था।

दरअसल बीजेपी विधायकों ने भारसाधक मंत्री के स्थान पर संसदीय कार्यमंत्री के विधेयक पेश करने पर आपत्ति जताई थी. बृजमोहन अग्रवाल ने मूल विधेयक विधि के विरुद्ध लाये जाने का विरोध किया था। वहीँ अजय चंद्राकर ने इस बिल को संशोधित विधेयक के बजाय मूल विधेयक कहा था।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग (अधिग्रहण) विधेयक 2021 (CCM College Bill) पर चर्चा के दौरान मंत्री सिंहदेव ने कहा कि मैं ये भरोसा दिलाता हूँ कि इस अधिग्रहण के बाद किसी की लेनदारी-देनदारी में दिक्कत नहीं होगी।

आपको बता दें कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज जिस परिवार का है, उस परिवार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेटी की शादी हुई है। यही कारण है कि भूपेश सरकार को भाजपा निशाने पर रखा और जब सरकार ने संशोधन विधेयक सदन में रखा तो भाजपा इस पर शोर शराबा करने लगी।

विपक्ष ने जताई आपत्ति

विपक्ष ने विधेयक के दो संसोधन लाये थे। जिसमे हॉस्पिटल में कार्यरत कर्मचारियों का भी सरकारी करण किया जाए और हॉस्पिटल की देनदारी को लेकर सरकार स्थिति स्पष्ट करें। दोनों संशोधन विधेयक अस्वीकार किए गए मत विभाजन के बाद विपक्ष का संशोधन खारिज हो गया। साथ ही कर्ज के बोझ में डूबे हुए चंदूलाल चंद्राकार हॉस्पिटल को लिए जाने पर विपक्ष ने घोर आपत्ति जताई।

16 के मुकाबले में 56 मतों से अधिग्रहण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया। जिसके बाद विपक्ष ने सदन के भीतर ही सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए और पारित बिल को काला कानून बताते हुए सदन से वॉक आउट किया।

प्रदेश सरकार की दलील पर भाजपा का कटाक्ष

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि प्रदेश के चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण की औपचारिकता पूरी होने से पहले ही अनुपूरक बज़ट में 41 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रदेश सरकार की बदनीयती को ज़ाहिर करने के लिए पर्याप्त है। उक्त महाविद्यालय के जो डायरेक्टर हैं, उनके परिवार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेटी ब्याही गई हैं। साय ने कहा कि उक्त महाविद्यालय को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी हुई है और जो महाविद्यालय भारी कर्ज़ में डूबा हो, लगातार नुक़सान में हो और जिसकी मान्यता सन 2017 से मेडिकल काऊंसिल ऑफ़ इंडिया ने धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगाकर रद्द कर रखी हो, उसका सरकारी ख़ज़ाने की राशि से अधिग्रहण करने का फैसला राज्य सरकार ने लेकर अपने एक रिश्तेदार परिवार के आर्थिक हितों को साधने का काम किया है।

विधेयक पर ये है भाजपा का विरोध का कारण –

  1. 140 करोड़ रू. प्रतिवर्ष का वित्तीय भार विधेयक के खण्ड – 6, 8 एवं 11 में आयेगा। सरकार की स्थिति वैसी ही अत्यंत नाजुक है उसके उपर 76 हजार करोड़ से अधिक का कर्जा है जिसके ब्याज को पटाने में 5 हजार करोड़ रू. प्रतिवर्ष बजट का प्रावधान जाता है और हर छोटी बड़ी परियोजना के लिए राशि नही होने के कारण कर्जा लेना पड़ता है क्योकि सरकार राजस्व वृद्धि का कोई प्रयास नही कर रही है। शराब बंदी के पश्चात लगभग 7 हजार करोड़ का राजस्व और कम हो जायेगा जिसकी पूर्ति किया जाना भी कठिन है। ऐसी स्थिति में प्रतिवर्ष 140 करोड़ रू. का भार तर्क संगत नही है।
  2. आपने खण्ड – 8 के उप खण्ड 2 में उल्लेख किया है कि वास्तविक राशि का मूल्यांकन किये जाने के बाद जो राशि संस्था को दी जावेगी वह वास्तविक मूल्यांकित राशि के दो गुणा होगी, ये घोर आपत्तिजनक है तथा सरकार का पैसा किसी व्यक्ति को लाभ देने के लिए ये प्रावधान रखा गया है। इस संस्था का अधिग्रहण सरकार संस्था के निवेदन पर कर रही है तो दो गुणी राशि देने का क्या अर्थ है ? इसमें भारी भ्रष्टाचार सम्भावित है।
  3. विधेयक के खण्ड – 3 में उल्लेख है कि किसी न्यायालय के निर्णय या डिक्री या अन्य दस्तावेज के होते हुए भी समस्त चल-अचल सम्पत्ति पर कब्जा व नियंत्रण सरकार का होगा। इसी प्रकार धारा – 5 में उल्लेख है कि उपरोक्त होते हुए भी यह अधिनियम के होते हुए भी समाप्त माने जायेंगे। ये दोनो खण्ड अस्वीकारणीय है क्योकि न्यायालय के निर्णय का पालन हर स्थिति में अनिवार्य होगा अन्यथा अवमानना का सामना करना होगा। अतः यह अधिनियम सही नही है।
  4. भुगतान योग्य राशि के निर्धारण हेतु विशेष अधिकारी नियुक्त करेगी, उसको वेतन भत्ता भी सरकार के द्वारा दिया जावेगा अर्थात यह अतिरिक्त खर्चा भी सरकार वहन करेगी तथा वास्तव में किसी न्यायालय के माननीय न्यायधीश के माध्यम से यह कार्य किया जाना उचित होगा। अतः नियम बनाते समय इसे शामिल किया जाना चाहिए।
  5. प्रतिवर्ष 140 करोड़ रू. का व्यय होगा लेकिन भुगतान योग्य राशि हेतु अरबो रू. सरकार को संस्था को देना होगा जबकि संस्था को जमीन सरकार के द्वारा उपलब्ध करायी गयी है और जमीन के मूल्य के अनुसार सम्पत्ति का मूल्यांकन होगा जिससे सरकार को राजस्व हानि होगी। विधेयक के खण्ड – 12 में उल्लेख है कि महाविद्यालय के कर्मचारियों का शासकीय सेवा में रहने का दावा मान्य नही होगा तो इस महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा किस प्रकार की जावेगी ?
  6. इस अधिनियम में उद्देश्य और कारणों में यह कही उल्लेख नही है कि क्या-क्या न्यायालयीन निर्देश व आदेश संस्था को दिये गये है इसके जानकारी के बिना अनेक विसंगतियां होगी।
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