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संपादकीय: फिर प्रदूषण की चपेट में राजधानी नई दिल्ली

Capital New Delhi again in the grip of pollution

Delhi again in the grip of pollution

Delhi again in the grip of pollution: हर साल की तरह ही इस बार भी देश की राजधानी नई दिल्ली ठंड का मौसम शुरू होने के पहले ही प्रदूषण की चपेट में आ गया है।

आगे चलकर प्रदूषण का स्तर किस कदर बढ़ेगा इसका इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि अभी से राजधानी नई दिल्ली के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर 300 एक्यूआई से ऊपर पहुंच गया है।

हवा में काला धुंआ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसकी वजह से नई दिल्ली के बाशिंदों को सांस लेना भी दूभर हो गया है। वायु प्रदूषण के साथ ही जल प्रदूषण भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

पूरी नई दिल्ली को जिस यमुना नदी से जल की आपूर्ति की जाती है। उस यमुना नदी का पानी बहुत ही गंदा हो चुका है। नदी के पानी में कई फीट ऊंची सफेद झाग दिखने लगी है।

गौरतलब है कि नई दिल्ली सरकार वायु और जल प्रदूषण रोकने के लिए 6500 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन इसके बाद भी वायु और जल प्रदूषण कम नहीं हो पाया है।

जब नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि उनकी सरकार यमुना नदी को साफ करेगी और वे खुद यमुना नदी के स्वच्छ जल में डूबकी लगाकर दिखाएंगे। उन्होंने तो यहां तक दावा किया था कि नई दिल्ली में यमुना नदी लंदन की टेम्स नदी की तरह स्वच्छ की जाएगी।

किन्तु उनकी सरकार का दस साल पूरा होने जा रहा है लेकिन अभी तक यमुना नदी की स्थिति जस की तस है। यमुना नदी में जहरीली सफेद झाग छा जाने के बाद भी नई दिल्ली सरकार अभी तक हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है।

नदी के घाटों के आसपास जमे कूड़ा करकट को भी हटाने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। नतीजतन नई दिल्ली की स्वयंसेवी संस्थाएं खुद होकर यह कचरा हटाने के काम में जुट गई है।

गौरतलब है कि अब कुछ ही दिनों बाद दीपावली का त्योहार आ रहा है और उसके बाद छठ पर्व मनाया जाएगा। नई दिल्ली में रहने वाले लाखों लोग इस गंदी यमुना में ही उतरकर सूर्यदेव को जल देंगे। रही बात नई दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण की तो इसको रोकने के लिए भी नई दिल्ली सरकार ने कोई प्रभावी पहल नहीं की है।

बस उसने इतना किया है कि इस बार भी दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा दी है। जबकि नई दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के और भी कई कारण हैं। लेकिन इस बारे में नई दिल्ली सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

हमेशा की तरह ही इस बार भी वह नई दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों हरियाणा, उत्तरप्रदेश और पंजाब के सिर पर ठीकरा फोड़ रही है।

नई दिल्ली सरकार के मुताबिक इन राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने की वजह से नई दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है। उसका यह आरोप सही भी है लेकिन इसे रोकने के लिए नई दिल्ली सरकार को ही कड़े कदम उठाने चाहिए लेकिन वह सिर्फ प्रदूषण के मामले में आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपने कतव्र्र्य की इतिश्री कर रही है।

नई दिल्ली सरकार की अकर्मण्यता का दुष्परिणाम यह है कि अभी से नई दिल्ली गैस चेंबर के रूप में तब्दील हो रही है जबकि अभी ठंड का मौसम शुरू भी नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति आगे चलकर प्रदूषण इस कदर भयावह रूप धारण कर लेगा। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

बेहतर होगा कि बढ़ते प्रदूषण पर सियासत करने की जगह नई दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार दोनों मिलकर इस विकट समस्या के समाधान के लिए कारगर कदम उठाएं।

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