Cabinet Expansion 2021: नए मंत्रीमंडल में शामिल मंत्रियों के शिक्षा, अनुभव और योग्यता का गुणगान
प्रमोद अग्रवाल
Cabinet Expansion 2021: केन्द्र सरकार के मंत्रिमण्डल में 43 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही मोदी 2.0 में मंत्रियों की पूरी संख्या भर गई है। मंत्रिमण्डल से 12 पुराने मंत्रियों को बाहर कर दिया गया है और विभिन्न दलों से आए हुए तथा विभिन्न दलों के अन्य सांसदों को मंत्रिमण्डल में शामिल किया गया है।
ज्योतिरादित्य कांग्रेस, नारायण राणे शिवसेना और कांग्रेस से भाजपा में आए है इसके अलावा पशुपति पारस लोक जनशक्ति, अनुप्रिया पटेल अपना दल और चार मंत्री जदयू के मंत्रिमण्डल में शामिल किए गए है। जबकि हटाए गए सभी मंत्री भारतीय जनता पार्टी के सांसद है। कोरोनाकाल के इस महामारी के दौर में स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्य मंत्री, आईटी मंत्री और सूचना प्रसारणमं त्री को एक साथ हटा दिया गया है यह आश्चर्यजनक है।
महामारी के इस दौर में दो नए मंत्री अब इस विभाग को संभालेंगे जो संकटकाल में तकलीफ दायक भी हो सकता है। देश के शिक्षा मंत्री, कानून मंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री क्रमश: रमेश पोखरियाल, प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद तीनों ही बड़े काबिल मंत्री माने जाते थे लेकिन कोरोना ने इनकी बलि भी ले ली। सोशल साईट्स और न्यूज चैनल्स पर कब्जा न कर पाने की असफलता भी इस पर भारी पड़ी।
52 मंत्रियों के समूह में 43 नए मंत्री शामिल (Cabinet Expansion 2021) किए गए है और 12 ने अभी तक इस्तीफा दिया है तो कुल संख्या 83 होती है, जबकि संवैधानिक रूप से केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में 81 सदस्य हो सकते है। इसका मतलब साफ है कि ऐसे दो इस्तीफों के नाम और आने है जो अभी मंत्रिमण्डल में शामिल है। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में 52 सदस्यों की फेस वेल्यू नगण्य थी, सरकार के चार-पांच बड़े मंत्रियों के अलावा किसी का भी चेहरा और नाम देश के अधिकांश लोगों को नहीं पता था और अब ऐसे नाम 81 हो गए है।
लगभग दो साल कार्यकाल होने के बावजूद सरकार की फेस वैल्यू सिर्फ मोदी ब्रांड पर टिकी हुई है। किसी भी मंत्री का ऐसा कोई भी परर्फार्मेंस नहीं है जिनसे किसी भी राज्य में चुनाव जीता जा सकें। बिहार के सुशील मोदी को, बंगाल से भाजपा अध्यक्ष घोष को, महाराष्ट्र से देवेन्द्र फडऩवीस को, गोवा से किसी को भी नहीं शामिल कर यह संदेश भी देने की कोशिश की गई है कि मोदी बं्राड अभी दबाव में नहीं है। चुनावी राज्यों के हिसाब से यूपी को प्रधानता दी गई है और जातीय समीकरण भी बिठाए गए है।
नौ सांसद देने वाले छत्तीसगढ़ को फिर उपेक्षित रखा गया है, राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, राम विचार नेताम और सरोज पाण्डेय जैसे बड़े नाम तथा दुर्ग के नवोदित सांसद विजय बघेल मंत्रिमण्डल में स्थान बनाने में असफल रहे है। जबकि इनके समर्थक लगातार ये हवा बनाने की कोशिश करते रहे है कि उन्हे कभी भी केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल किया जा सकता है। भाजपा की रणनीति में छत्तीसगढ़ भाजपा की क्या स्थिति है यह इसी बात से समझ में आता है कि केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल एकमात्र राज्य मंत्री रेणुका सिंह का भी प्रमोशन नहंी हुआ है।
सरकार मे चाहेे जितने भी मंत्री हो यदि सरकार सामाजिक सरोकार और सर्वहारा वर्ग की हमदर्द नहीं है और देश के वर्तमान हालातों पर काबू नहीं कर पा रही है तो सरकार चाहे 52 व्यक्ति चलाएं या 81 परिणाम वही आता है जो सामने दिख रहा है। देश में महंगाई, महामारी, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और जीडीपी का लगातार गिरना बड़ी समस्याएं है और देश लगभग एक साल से इसे बुरी तरह भोग रहा है। ऐसा माना जाना चाहिए कि नया मंत्रिमण्डल देश को इन समस्याओं से निजात दिला पाएगा।
एक बात और है कि देश का सारा मीडिया नए मंत्रिमण्डल मंत्रियों की शिक्षा, अनुभव और योग्यता का जिस तरह से गुणगान कर रहा है उसी तरह से उसे यह भी बताना चाहिए कि मंत्रिमण्डल में शामिल इन व्यक्तियों पर कितने आपराधिक मामले दर्ज है और वह किस श्रेणी के है और अंत में 302 लोकसभा सांसदों के बहुमत वाली पार्टी ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि योग्यता के मामले में दूसरे दलों के पास ज्यादा सक्षम और ज्यादा कुशल राजनेता है और भाजपा की झोली में अंधभक्त तो है लेकिन नेता नहीं है।