प्रेम शर्मा
Building construction technology: भवन निर्माण तकनीक जनजागरण अभियान की स्थापना ग्राम फीना जनपद बिजनौर उप्र निवासी इंजीनियर हेमन्त कुमार ने वर्ष 2005 के आसपास की थी। हालाँकि इस क्षेत्र में वे और पहले से काम कर रहे थे। भवन समाज और परिवार की मूलभूत आवश्यकता होता हैं परन्तु भवन निर्माण बहुत महंगा कार्य है और यदि इसे विधिवत प्लानिंग से न बनवाया जाय तो जमीन और धन की बर्बादी होती है। इस सेक्टर में प्रतिवर्ष अरबों रूपये का कार्य कराया जाता है परन्तु प्लानिंग से बनने वाले भवनों की संख्या नगण्य है। फलतः देश के संसाधनों और व्यक्ति की गाढ़ी मेहनत की कमाई का महत्वपूर्ण हिस्सा व्यर्थ चला जाता है।
दुर्भाग्य से इस क्षेत्र में जनजागरण की बड़ी जरुरत होते हुए भी न तो कोई सरकारी तंत्र काम कर रहा था और न ही कोई संस्था। इन परिस्थितियों को देखते हुए इं. हेमन्त कुमार ने अभिनव पहल करते हुए भवन निर्माण तकनीक जनजागरण अभियान की स्थापना की और इसके अंतर्गत पुस्तक व साहित्य लेखन जन जागरण गोष्ठियाँ निःशुल्क पुस्तक वितरण निःशुल्क लाइन प्लान वितरण निःशुल्क टेलीफोनिक मार्गदर्शन के माध्यम से जन सहयोग की शुरुआत की है।इस अभियान के अंतर्गत विगत पच्चीस वर्षों में हेमन्त कुमार ने जनजागरण और निःस्वार्थ सहयोग का अद्भुत और प्रेरक कार्य किया हैं और बड़ी संख्या में लोगों ने लाभ उठाया है, हालाँकि इस अभियान की शुरुआत धीमी रही।
लोगों को लाभ पहुँचाने में सबसे अधिक योगदान इस अभियान के अंतर्गत लिखी गयी पुस्तकों का रहा। इं. हेमन्त कुमार इस अभियान के अंतर्गत चार पुस्तक लिख चुके हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे, मकान बनवाते समय ध्यान रखने वाली 125 बहुत जरूरी बातें, चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण तथा भवन निर्माण तकनीक जन जागरण अभियान परिचय उपलब्धि संस्मरण और नक्शे। चारों पुस्तक इन्टरनेट पर निःशुल्क पढ़ी जा सकती हैं लाखों रूपये की रायल्टी प्रकाशकों ने देने के प्रयास किये परन्तु हेमन्त कुमार ने जनहित के लिए रायल्टी नहीं ली इसी कारण ये पुस्तक निःशुल्क पढ़ी जा सकती हैं ।
इन पुस्तकों में विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे का लोकार्पण आई आई टी रूड़की में वहाँ के प्रोफेसर्स द्वारा किया गया है। इस पुस्तक को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने जनोपयोगी तकनीकी लेखन के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा सम्पूर्णानन्द नामित पुरस्कार तथा पचहत्तर हजार रूपये की धनराशी प्रदान की गई थी। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कारों को हिंदी जगत में शीर्ष स्थान प्राप्त है। यह उत्तर प्रदेश सरकार का उपक्रम है और इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। यह पुरस्कार मुख्यमंत्री या राज्यपाल अपने हाथों से प्रदान करते हैं परन्तु कोरोना के कारण उस बार का समारोह आयोजित नहीं हुआ जिस वर्ष हेमन्त कुमार की पुस्तक ने यह पुरस्कार जीता।
इस इस पुस्तक की जनोपयोगिता देखते हुए ही यह पुरस्कार इनको दिया गया था । मिर्जापुर निवासी इं. गुरुप्रसाद द्वारा इस पुस्तक की सैकड़ों प्रतियाँ अपने खर्च पर छपवा कर वितरित की गयी है। इन पुस्तकों को लाखों लोग पढ़ चुके हैं। इन जनजागरण कार्यों के लिए हेमन्त कुमार पी डब्ल्यू राज्य मंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय, पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा, पी डब्ल्यू राज्य मंत्री ब्रजेश कुमार सिंह के हाथों सम्मानित हो चुके है। इनकी पुस्तक चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, पूर्व सांसद आर के सिंह पटेल तथा डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने शुभकामना सन्देश भेजे हैं और इस पुस्तक का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी दर्ज हुआ है। अभियान के अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर छोटी बड़ी जन जागरण गोष्ठियाँ कर बड़ी संख्या में संबंधित साहित्य वितरित किया गया।
भवन नियोजन और निर्माण के क्षेत्र में इं. हेमन्त कुमार के अलावा कोई जनजागरण तथा निःशुल्क सहयोग प्रदान करने वाली संस्था सक्रिय नहीं दिखाई पड़ती। इस अभियान के अंतर्गत अनेक जनपदों के लोगों ने अपने भवनों को बताये गए तरीके से बनाया और लाभ प्राप्त किया। इस अभियान में भवनों के हजारों नक्शे बनाकर विशेषकर ग्रामीणवासियों को दिए जा चुके हैं। जनपद मिर्जापुर के शांति उच्च शिक्षा तथा तकनीकी महाविद्यालय के नियोजन और निर्माण में इस अभियान का लाभ लिया गया है और प्रबंधन ने इसके शिलापट्ट पर इं. हेमन्त कुमार का नाम भी अंकित कराया है। इस महाविद्यालय के उद्घाटन के समय मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हेमन्त कुमार को निःस्वार्थ जनजागरण अभियान चलाने के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। आई आई टी रूड़की में आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग विभाग के प्रो० पी एस चानी ने भी इस अभियान के कार्यों की सराहना की है। इं. हेमन्त कुमार का यह अभियान इस बात का सुन्दर उदाहरण है कि एक एक छोटे कदम से भी लम्बी दूरी तय की जा सकती है बशर्ते कि निस्वार्थ भाव से निरंतर काम किया जाए ।–