दीपक अरोरा/रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जहां छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग आकर अपनी तकदीर संवारने का प्रयास करते हैं चाहे वह नौकरी के माध्यम (Builder Scam) से हो या व्यापार के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार की लाभकारी योजनाएं इतनी प्रभावशाली है कि अन्य राज्य तो क्या बड़े-बड़े महानगरों से भी लोग यहां आकर अपना भाग्य आजमा रहे हैं परंतु जिस तरीके से राजधानी के बिल्डर (Builder Scam) सपने दिखाकर लोगों को करोड़ों के मकान बेच रहे हैं वे केवल दूर के ढोल सुहावने वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
जी हां छत्तीसगढ़ राज्य सहित आसपास के लोगों का भी राजधानी में अपना एक आशियाना बनाने की चाहत हमेशा रही है जिसका पूरा पूरा फ ायदा यहां के बिल्डर उठा रहे हैं जिस वक्त वे लाखों रुपए के मकान लोगों को बेचते हैं। उस वक्त उन्हें उच्च स्तरीय जीवन शैली का सपना दिखाकर सीधे-सीधे बिल्डर (Builder Scam) उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं।
नवप्रदेश की टीम ने जब अनेकों प्रोजेक्टों का अवलोकन किया तो बेहद ही चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। ज्यादातर प्रोजेक्टों में निवासरत रहने वाले लोग हाई-प्रोफाइल जिंदगी तो क्या मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं जिन लोगों ने अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर बिल्डरों की खूबसूरत योजनाओं में अपने सपनों को बुन है वह आज मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।
अनेक प्रोजेक्टों में ना पानी की व्यवस्था है ना पार्किंग की व्यवस्था है ना ही खेल मैदानों की सफाई हो रही है खाली प्लाटों में गंदगी का आलम बना हुआ है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हुई है।
बावजूद उसके सरकार की तमाम योजनाओं के अंतर्गत इन्हें मकान बनाने की अनुमति तो मिल जाती है परंतु अनुमति के उपरांत यह बिल्डर सरकारी गाइडलाइन का कितना पालन कर रहे हैं इसको देखने वाला कोई नहीं है और अगर कोई देख भी रहा है तो किसी प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं हो रही यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल उठने लगा है।
सुविधाओं के नाम पर ग्राहकों के साथ छल : नगर निगम से लेकर रेरा तक के विभाग से मकान खरीददार को तमाम सुविधाओं का वास्ता देकर बिल्डर कई मंजिला इमारत अनुमति प्राप्त करते हैं जिसके अंतर्गत मकान अथवा फ्लैट खरीदने वालों को मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ तमाम सुविधाओं के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है परंतु जिस वक्त यह बिल्डर मकान बेचते हैं
उस वक्त तो ग्राहकों को तमाम योजनाओं से अवगत कराते हैं और जब तक प्रोजेक्ट पूरा होता है उस वक्त सुविधाओं के नाम पर सीधे-सीधे खरीदारों के साथ छल किया जाने लगता है इस मसले को लेकर यदि कोई जागरूक किसी तरह से बिल्डर से संपर्क अथवा उनके कर्मचारियों से संपर्क करने का प्रयास चलता है
तो उस वक्त समान जिम्मेदारों पर फोन बंद नजर आते हैं जिसके चलते खरीददार मजबूर होकर तमाम सुविधाओं को जलते हुए अपने निजी खर्चे से अपनी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति करते हैं
जिसका उदाहरण प्राइवेट सेक्टर में लगातार पानी के टैंकरों को जाता देखकर आसानी से लगाया जा सकता है कि जिन हाई प्रोफाइल सोसायटी ओं में पीने तक के पानी की सुविधा नहीं है वहां निवासरत लोगों को क्या सुविधा मिल रही होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
आउटर क्षेत्रों में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट
वर्तमान समय में राजधानी के बाहरी क्षेत्रों में 40 से अधिक नए प्रोजेक्ट संचालित हो रहे हैं इसमें से ज्यादातर महानगरों की तरह सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर खरीददारों से 7000000 रुपए से लेकर 2 करोड़ तक के फ्लैट बेच रहे हैं परंतु बिल्डरों द्वारा जिन सुविधाओं का दावा कर लोगों की जेब खाली की जा रही है
उन्हें वह सुविधा मिल रही है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए कोई भी मापदंड निर्धारित नहीं है और अगर है भी तो उसका पालन नहीं हो रहा है
जिसके चलते बिल्डर बेलगाम होकर अनाप-शनाप दर पर सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर लोगों की जेब खाली कर रहे हैं बाहर हाल वर्तमान में भी यदि पूर्व में पूर्ण हो चुके प्रोजेक्टओं का निरीक्षण करने के साथ ही यहां पर निवासरत लोगों से समस्याओं के बारे में पूछा जाए तो स्थिति खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
जगह महंगी होने का फायदा उठा रहे बिल्डर
वर्तमान समय में राजधानी में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं जिसके चलते मध्यम वर्गीय परिवार के लोग जमीन खरीदने की बजाय फ्लैटों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं ताकि कम बजट में उनके सपनों का घर बन सके जिसका पूरा पूरा फायदा बिल्डर उठा रहे हैं
करोड़ों की जमीन में अरबों का आशियाना बेचकर बिल्डर जहां अपनी जेब भर रहे हैं तो वही लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में घुटन भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं परंतु बिल्डरों की ऊंची पहुंच के सामने शिकायत के बावजूद किसी प्रकार की कार्यवाही ना होने से खरीददार चुप्पी साधने के लिए मजबूर हो रहे हैं
ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन को राजधानी में बने तमाम प्रोजेक्ट ओं का अवलोकन करने के साथ ही वहां निवासरत लोगों से मुलाकात कर उनका दुख दर्द सुनना चाहिए ताकि शासन प्रशासन के प्रति आम जनता का विश्वास बना रहे।