तारकेश्वर मिश्र। Booster Dose : भारत में कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’ के केस सामने आने लगे हैं। यह प्रभाव तीसरी लहर में भी बदल सकता है। जनवरी, 2022 के आखिर या फरवरी की शुरुआत में तीसरी लहर को महसूस किया जा सकता है। अलबत्ता इसके दूसरी लहर की तरह घातक और जानलेवा होने के आसार नहीं हैं। संक्रमण जरूर फैल सकता है और संभावित तीसरी लहर के ‘पीक’ के दौरान एक-डेढ़ लाख मामले भी हररोज सामने आ सकते हैं, लेकिन मृत्यु-दर सामान्य ही रहेगी।
यह आकलन कानपुर आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का है। उन्होंने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर यह आकलन किया है। दूसरी लहर में भी प्रोफेसर अग्रवाल के आकलन एक हद तक सटीक साबित हुए थे। हालांकि भारत में नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ का असर बेहद सीमित है। विदेशों से आने वाले यात्रियों के जरिए ही इसके कुछ केस भारत में देखे गए हैं। कर्नाटक में जो 46 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित पाया गया था, वह अब पूरी तरह स्वस्थ है। उन्हें सांस लेने में कोई कठिनाई या अन्य खतरनाक लक्षण आए ही नहीं। वह आज बैडमिंटन खेल रहे हैं।
देश में ‘ओमिक्रॉन’ के बीस से ज्यादा संक्रमित मामले समाने आ चुके हैं। मई ’21 में दूसरी लहर के ‘पीक’ के बाद संक्रमण के आंकड़े लगातार घटते रहे हैं। बीते कई सप्ताह से तो संक्रमित मामलों की संख्या 10,000 से कम रही है। फिलहाल यह बेहद सामान्य स्थिति है। हालांकि लद्दाख, उप्र, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी, केरल आदि राज्यों और संघशासित क्षेत्रों के 18 जिलों में संक्रमण कुछ बढ़ता दिखाई दिया है, लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन्हें चेतावनी-पत्र लिखा है और दिशा-निर्देशों का पालन करने को आदेश दिया है।
केरल अब भी नाजुक संकट बना हुआ है। संक्रमण के 50 फीसदी से ज्यादा मामले केरल से ही आ रहे हैं। इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर सॉर्स-कोव-2 जीनोमिक्स कन्सोर्टियम (इन्साकॉग) के शीर्ष वैज्ञानिकों ने भारत सरकार से अनुशंसा की है कि भारत में भी 40 साल की उम्र से ऊपर वालों को ‘बूस्टर डोज’ देने की शुरुआत की जाए। बेशक देश में कोरोना टीके की दूसरी खुराक करीब 47 करोड़, यानी 36 फीसदी से कुछ ज्यादा आबादी को, दी गई है।
केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से वैक्सीन के लिए पात्र लोगों से दोनों डोज लगवाने की अपील की जा रही है। वहीं कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए इसके बूस्टर डोज की भी चर्चा होने लगी है। अक्टूबर में हेल्थ जर्नल लैंसेट (स्ंदबमज) में आई एक स्टडी में बताया गया था कि फिलहाल बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। लेकिन एक्सपट्र्स का ये भी कहना था कि अगर कोरोना का कोई नया खतरनाक स्ट्रेन सामने आता है तो नई डोज की जरूरत पड़ सकती है।
बहरहाल, बूस्टर डोज को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। उनमें से एक अहम सवाल वैक्सीन चेंज करने को लेकर भी है। जैसे अगर आपने कोवैक्सीन या कोविशील्ड या स्पूतनिक लगवा रखी है और आपकी दोनों डोज पूरी हो चुकी हैं ऐसे में क्या दूसरी कंपनी की बूस्टर डोज ली जा सकती है? क्या कोवैक्सीन की दोनों डोज लेने वाला कोविशील्ड की बूस्टर डोज ले सकता है? या कोविशील्ड वाला कोवैक्सीन की बूस्टर डोज ले सकता है?
वयस्क आबादी को दूसरी खुराक के साथ-साथ ‘बूस्टर डोज’ (Booster Dose) भी दी जा सकती है, क्योंकि टीकों का भंडार और उत्पादन पर्याप्त संख्या में जारी है। यह डोज इसलिए देना जरूरी हो गया है, ताकि ‘ओमिक्रॉन’ के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी बन सकें। डॉ. नरेश त्रेहन सरीखे विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी ‘बूस्टर डोज’ लगाने का आग्रह किया है। कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें फरवरी-मार्च, ’21 में ही दोनों खुराकें दी जा चुकी थीं। उनमें या तो एंटीबॉडी समापन के दौर में हैं अथवा इम्युनिटी का संकट हो सकता है। चूंकि कोरोना-काल में ये वर्ग अग्रिम मोर्चे पर योद्धा की तरह लड़ते रहे हैं, लिहाजा उन्हें ‘बूस्टर डोज’ के जरिए सुरक्षा-कवच प्रदान करना अपरिहार्य है।
ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इजरायल समेत दुनिया के करीब 30 से ज्यादा देश अपने यहां बूस्टर डोज लगाना शुरू कर चुके हैं। अपने देश की बात करें तो यहां कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर सरकार जल्द ही एक नीति का ऐलान कर सकती है। पिछले दिनों नेशनल टास्क फोर्स के एक वरष्ठि सदस्य ने कहा था कि सरकार की प्राथमिकता सबसे पहले वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा करने की होगी। इसको लेकर बना राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह बूस्टर डोज संबंधित नीति को अंतिम रूप देगा।
टास्क फोर्स के सदस्य के मुताबिक, आने वाले दिनों में एक विस्तृत नीति आने वाली है। हालांकि पॉलिसी भले ही तैयार हो रही हो, लेकिन फिलहाल सरकार का फोकस इस बात पर रहेगा कि 31 दिसंबर तक सभी वयस्क लाभार्थियों को कम से कम पहली डोज लग जाए। किसी भी देश में बूस्टर डोज के लिए सबसे जरूरी है कि टीके का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए। भारत में यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिलहाल सभी पात्र व्यस्कों के लिए टीकाकरण अभियान जारी है। बूस्टर डोज के चक्कर में यह अभियान प्रभावित नहीं हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है।
बहरहाल देश की अग्रणी वैक्सीन (Booster Dose) निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बूस्टर डोज के लिए सरकार से अनुमति मांगी है। सीरम ने ड्रग रेग्यूलेटर से कोविशील्ड को बूस्टर डोज के तौर पर मंजूरी देने का अनुरोध किया है। कंपनी का कहना है कि देश में टीके का पर्याप्त भंडार है और संक्रमण के नए स्वरूप को देखते हुए बूस्टर खुराक की जरूरत है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, भारतीय औषधि नियामक को भेजी एक अर्जी में सीरम इंडिया में नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने ब्रिटेन में बूस्टर डोज को अनुमति दिए जाने का हवाला देते हुए आग्रह किया है।