नई दिल्ली। black fungus: कोरोना के इलाज के बाद ब्लैक फंगस से जूझना पड़ा रहा है। पूरे देश में इस म्यूकोर्मिकोसिस के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। एम्स ने इन मरीजों को बताया है कि लक्षणों को कैसे पहचाना जाए। हालांकि इसका इलाज कोरोना जितना ही महंगा और दवा की कमी वाला है। नतीजतन, पुणे में डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक कम लागत वाला विकल्प सुझाया है।
ब्लैक फंगस के लिए एंटी-फंगस (black fungus) इंजेक्शन की कमी है। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों का प्रतिदिन का खर्च करीब 35,000 रुपये है। जिसे 100 गुना घटाकर 350 रुपये किया जा सकता है।
डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस के लिए वैकल्पिक उपचार का सुझाव दिया है। इसमें रोगी के रक्त में क्रिएटिनिन स्तर की सावधानीपूर्वक निगरानी करना शामिल है। इससे इलाज का खर्चा कम होगा।
ब्लैक फंगस (black fungus) के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन है। इंजेक्शन की तरह इन इंजेक्शनों की भी कमी है। इंजेक्शन में बहुत खर्च होता है। लेकिन इसे प्राप्त करना आसान नहीं होता है। यह अन्य उपचारों के उपयोग की लागत को बहुत कम कर सकता है। इसके लिए मरीज को हर दूसरे दिन ब्लड टेस्ट कराना होगा।
समीर जोशी ईएनटी प्रमुख बीजे मेडिकल कॉलेज, पुणे ने कहा कि कोरोना के बाद से ब्लैक फंगस वाले 201 मरीजों का इलाज किया गया है। इनमें से पचहत्तर प्रतिशत मरीज पारंपरिक एम्फोटेरिसिन और सर्जरी के बाद ठीक हो गए। ब्लैक फंगस वाले 65 में से 63 मरीज कोरोना से पहले इसी तरह ठीक हो चुके हैं। इस सर्जरी में मृत कोशिकाओं को हटा दिया जाता है।