BJP’s Resignation : विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही उत्तर प्रदेश भाजपा मेें इस्तीफों की बाढ़ आ गई है। अब तक तीन मंत्रियों और छह विधायकों ने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया है। इन सभी नेताओं के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की संभावना है। अभी और दर्जनों विधायकों के इस्तीफा देने की अटकलें लगाई जा रही है। इनमें से अधिकांश पिछड़ वर्ग के विधायक है जो अपने इस्तीफें का कारण यही बता रहे है कि भाजपा में उनका दम घुट रहा था क्योंकि भाजपा पिछड़े और दलित वर्ग की उपेक्षा कर रही थी।
ये सभी मंत्री और विधायक पूरे साढ़े चार साल तक सत्ता का सुख भोगते रहे और अब जबकि चुनाव की घोषणा हो चुकी है तब इन्हे ख्याल आया है कि भाजपा में वे उपेक्षित थे। दरअसल ये दलबदलू भाजपा (BJP’s Resignation) में इसलिए घुटन महसूस कर रहे थे क्योंकि इनमे से अधिकांश लोग अपने साथ ही अपने बेटे बेटियों के लिए भी टिकट चाहते थे। लेकिन जब इनकी दाल नहीं गली और इनमें से भी कई लागों की टिकट कटने की संभावना प्रबल नजर आने लगी तो इन लोगों ने भाजपा से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
इन इस्तीफा देने वाले नेताओं में से अधिकांश का यह कहना है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्गो की भाजपा घोर उपेक्षा कर रही है। भाजपा से पहले ही अलग हो चुके और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुके ओमप्रकाश राजधर ने तो दावा किया है कि इस चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ हो जाएगा। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में ठाकुरवाद चल रहा है। उन्होने कहा है कि जिनकी जितनी भगीदारी उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। इसी तरह भाजपा छोड़ चुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी भाजपा पर पिछड़े वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि इस चुनाव में भाजपा को करारी हार मिलेगी।
उनका कहना है कि अभी तो भाजपा छोडऩे (BJP’s Resignation) वाले विधायकों की लंबी लिस्ट है। इधर भाजपा को एक के बाद एक पिछड़ा वर्ग के विधायकों व मंत्रियों के इस्तीफे से करारा झटका लग रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में आधी आबादी पिछड़े वर्ग की है और पिछले विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। यदि पिछड़ा वर्ग असंतुष्ट रहेगा तो भाजपा की राह कठिन हो जाएगी। भाजपा नेतृत्व को पिछड़ा वर्ग के नेताओं में उपजते असंतोष का शमन करने का जतन करना चाहिए अन्यथा उसके लिए मुश्किलें पैदा हो जाएगी।