BJP’s path in Maharashtra is not easy: लोकसभा चुनाव में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के बाद दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में भाजपा को बड़ा झटका लगा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महाराष्ट्र में 21 सीटें जीती थी। लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा मात्र 9 सीटों पर सिमट कर रह गई।
जाहिर है महाराष्ट्र में भाजपा (BJP’s path in Maharashtra is not easy) को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही रही थी कि भाजपा ने शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में टूट के बाद उनसे अलग हुए गुट को जरूरत से ज्यादा तरजीह दी। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया। और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद पर आसीन करा दिया।
जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को कुर्सी के बदले स्टूल थमा दिया और उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ उपमुख्यमंत्री पद पर बिठा दिया। इससे महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में बहुत ही गलत संदेश गया।
इसी का दुष्परिणाम यह निकला कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 14 सीटों पर जीत दर्ज कर ली जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी।
उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गुट ने भी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रर्दशन किया। जबकि एकनाथ शिंदे गुट को 14 सीटें मिली जबकि अजीत पवार गुट को मात्र एक सीट ही मिल पाई। इसी से स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह आसान नहीं है।
हालांकि मौजूदा विधानसभा में भाजपा के पास सबसे ज्यादा 103 सीटें हैं लेकिन अगले चुनाव में उसे कुल 288 सीटों में से कितनी सीटें मिल पाएंगी। यह कह पाना फिलहाल मुहाल है। भाजपा के लिए महायुति गठबंधन में सीटों का बंटवारा करना भी बहुत बड़ी सिरदर्दी साबित होगी।
एकनाथ शिंदे गुट और अजीत पवार गुट ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए भाजपा पर दबाव बनाएंगे। वर्तमान में एकनाथ गुट के पास 54 विधायक हैं। जबकि अजीत पवार गुट के पास 44 विधायक ।
ये दोनों ही नेता इससे ज्यादा सीटें मांगने पर अड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा के हिस्से सवा सौ सीटें ही आ सकती हैं और उसमें से भी वह कितनी सीटें जीत पाएगी। इसका कोई ठिकाना नहीं है। दरअसल भाजपा ने अजीत पवार को एनडीए में लाकर आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ कर ली है।
महाराष्ट्र में भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट की सरकार बनने के बाद भाजपा के बड़े नेता अजीत पवार को महाभ्रष्टाचारी बता रहे थे और उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही का दम भर रहे थे।
उसी अजीत पवार को महायुति गठबंधन का न सिर्फ हिस्सा बनाया बल्कि अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद से भी नवाजा गया। किन्तु अब लोकसभा चुनाव के परिणामों से साफ हो गया है कि भाजपा को अपनी इस भूल की भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
अजीत पवार भाजपा के लिए गले की हड्डी बन चुके हैं। जिसे न तो निगलते बन रहा है और न ही उगलते बन रहा है। गौरतलब है कि अजीत पवार के साथ आने से महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष फैल गया था उनका कहना है कि अब हम किस मुंह से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा पाएंगे।
भाजपा नेताओं को भी लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में एकनाथ श्ंिादे गुट और अजीत पवार गुट को ज्यादा सीटें मिली तो उन विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा की टिकट के दावेदार नेताओं का क्या होगा।
कुल मिलाकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए गंभीर चुनौती पेश होने जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती का सामना करने के लिए क्या रणनीति बनाती है।