नई दिल्ली, 7 जुलाई| Bilawal Bhutto India Statement : भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी तनाव के बीच एक चौंकाने वाला बयान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने दिया है। बिलावल ने कहा है कि पाकिस्तान, आतंकवाद पर बातचीत के हिस्से के रूप में, हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को भारत को प्रत्यर्पित करने पर सहमत हो सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान को सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर कठघरे में खड़ा कर दिया है।
बिलावल ने क्या कहा?
एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत को सौंपने के लिए तैयार है, तो उन्होंने कहा:
“अगर भारत सहयोग करता है और आतंकवाद पर वार्ता को गंभीरता से लेता है, तो मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान को किसी भी जांच के दायरे में आए व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने में कोई आपत्ति होगी।” यह बयान न केवल भूतपूर्व रवैये से पूर्ण विराम (Bilawal Bhutto India Statement)है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान पर बहुआयामी दबाव काम कर रहा है।
अचानक नरमी क्यों?
1 ऑपरेशन सिंदूर का दबाव:
भारत द्वारा आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब सीमाएं अड़चन नहीं हैं। पाकिस्तान को यह एहसास हो गया है कि भारत की कार्रवाई अब केवल रक्षा नहीं, बल्कि आक्रामक कूटनीति है।
2 FATF और अंतरराष्ट्रीय शिकंजा:
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की FATF ग्रे लिस्ट में वापसी की आशंका गहरा गई है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक के पोषक के रूप में पाकिस्तान की छवि फिर दागदार हुई है।
3 भारत के साथ व्यापार की आस:
भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध निलंबित कर रखे हैं। महंगाई, डॉलर संकट और बेरोज़गारी की मार झेल रहे पाकिस्तान को अब व्यापारिक जीवनरेखा की ज़रूरत महसूस हो रही है।
4 सिंधु जल संधि का सस्पेंशन:
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित करने के फैसले ने पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था को भय में डाल दिया (Bilawal Bhutto India Statement)है। सिंधु नदी के पानी पर ही वहां की 80% खेती निर्भर है।
5 आंतरिक राजनीतिक महत्वाकांक्षा:
बिलावल भुट्टो देश की सत्ता के केंद्र में वापस लौटना चाहते हैं। ऐसे में “शांति और समाधान समर्थक नेता” की छवि गढ़ना उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
क्या भारत इस पर भरोसा करेगा?
भारत पहले भी पाकिस्तान की ओर से आए ऐसे बयानों का सामना कर चुका है, जिनके पीछे वास्तविक कार्रवाई के बजाय केवल बयानबाज़ी रही है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या पाकिस्तान वाकई आतंकवाद के सरगनाओं को सौंपने का कानूनी, राजनीतिक और रणनीतिक साहस जुटा पाएगा या यह सिर्फ राजनयिक दबाव को कम करने की चाल है।