नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। सिम्स एमआरडी में ठेकेदार की मनमानी उगाही को देखते हुए डीएमई ने टेंडर रद्द कर सिम्स प्रबंधन को एमआरडी संचालन करने के निर्देश दिया है। अस्पताल में इलाज कराने आये हुए मरीजों को पहले ओपीडी शुल्क से लेकर, एक्र्स-रा, सोनोग्राफी, सिटी स्केन, पैथोलेब में रक्त, पेशाब जांच अन्य जांच सहित प्राइवेट वार्ड का शुल्क पहले एमआरडी में अदा किया जाता है। इसी शुल्क से सिम्स अस्पताल के मेंटनेसन का खर्चा निकलता है, किन्तु पिछले वर्ष पूर्व विधायक अमर अग्रवाल के सबसे चहेतों में शामिल पूर्व नगर निगम एल्डरमैन मकबूल अहमद को महीने का 1 लाख 60 रुपये में एक वर्ष के लिए दिया गया है । ठेका मिलते ही ठेकेदार ने ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने बनाने वाला पर्ची का शुल्क 5 से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया। इसी तरह अन्य ऊपचार की जांच शुल्क में बढ़ोतरी कर दी, और पैसे बचाने के चक्कर मे एमआरडी काउंटर में गिनती के कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है, जिस वजह से काउंटर में मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है। एमआरडी सिम्स के उत्थान का हवाला देकर ठेका दिया गया था मगर मकसद वर्तमान स्थिति को देख अब समझ आ रहा है। सोनोग्राफी, सिटी स्केन, डिजीटल एक्स-रा, रक्त, पेशाब सहित अन्य जांच के महंगे मशीन सिम्स का है मगर इसका फायदा ठेकेदार ले रहा है। वही अब डीएमई ने एमआरडी का टेंडर खत्म कर संचालन प्रबंधन को अपने हांथो में लेने का निर्देश दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमआरडी का टेंडर अवधि समाप्त हो चुका है बावजूद ठेकेदार अभी भी अपने कर्मचारियों को नियुक्त कर काम करा रहा है। इस ओर सिम्स प्रबन्धन ध्यान नहीं दे रहा है।