नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। सिम्स के रेडियोलॉजी डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं इसके चलते चार दिन से सोनोग्राफी जांच बंद है। जांच नहीं होने के कारण मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है। वहीं कई मरीज निजी सेंटर में जाने को मजबूर हैं।
सरकारी अस्पतालों में सबसे बड़ा समस्या विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है वेतन कम होने के कारण कोई डॉक्टर सरकारी अस्पताल में नौकरी भी नहीं करना चाहते इसके चलते मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है इस समय रेडियोलॉजी विभाग में कई पद रिक्त पड़े हुए हैं कुछ माह पूर्व एक डॉक्टर ने सिम्स में अपनी सेवा शुरू की थी जिसके बाद सोनोग्राफी जांच की जा रही थी लेकिन चार दिन पूर्व डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं। वहीं अल्ट्रा नहीं होने के चलते सींस में सोनोग्राफी चार्ज होना बंद हो गया है सिम्स में रोजाना करीब 13 मरीज ओपीडी और 600 मरीज वार्ड में भर्ती का इलाज किया जाता है इसमें से करीब 100 मरीज को सोनोग्राफी जांच की जरूरत पड़ती है, लेकिन जांच नहीं होने के कारण मरीजों को भटकना पड़ रहा है। वहीं कई मरीज निजी सेंटर में सोनोग्राफी कराने को मजबूर है इससे गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है जिला अस्पताल में भी नहीं हो रही जांच जिला अस्पताल में एकमात्र रेडियोलॉजी डॉक्टर सुरेश तिवारी थे लेकिन उन्हें जिला कबीरधाम के स्वास्थ्य विभाग का प्रभार दिया गया है जिसके बाद से जिला अस्पताल में सोनोग्राफी करने वाला कोई डॉक्टर नहीं है। वहीं मरी इधर-उधर भटक रहे हैं।