Site icon Navpradesh

एकाग्रता बढ़ाने के लिए ओम ध्वनि का उच्चारण करें: स्वाति

नवप्रदेश संवाददाता
बिलासपुर। ओम् के बिना किसी घर की पूजा पूरी नहीं होती। माना जाता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड से निरंतर ओम् की ध्वनी निकलती है। जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता ओम् के उच्चारण से स्मरण शक्ति बढऩे लगती है जो मन को एक तरफ फोकस करने में मदद करती है। ओम् के उच्चारण से अनेक बीमारियों जैसे हार्ट की समस्यायें, पाचन तंत्र, नींद नहीं आना, बीपी, डायबिटीज थायरायड आदि को समाप्त किया जा सकता है। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यलाय की स्थानीय शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में 14 मई से 19 मई तक प्रात: 7:30 से 9.30 बजे तक आयोजित छ: दिवसीय चल रहे समर कैंप- हैप्पी एंजील कैंप के तीसरे दिन सेवाकेन्द्र संचालिका बी.के. स्वाति दीदी ने कही। दीदी ने बच्चों को ओम् का महत्व बताते हुए कहा कि ओम् षब्द इस दुनिया में किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का मुख्य भाग है। ओम् के उच्चारण से षरीर के भिन्न-भिन्न भागों में कंपन होने से हमारा पूरा शरीर रोगों से मुक्त रहता है। अमेरिका के एक एफ एम रेडियो पर सुबह की षुरूआत ओम शब्द के उच्चारण से ही होती है। वैज्ञानिकों ने ओम के उच्चारण पर रिसर्च किया कि रोजाना ओम् के उच्चारण से मस्तिष्क के साथ-साथ पूरे षरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर की मृत हुई कोशिकाएं दोबारा जन्म ले लेती है।


दीदी ने बताया कि ओम् के 108 से भी ज्यादा अर्थ है। ओम् शब्द तीन अक्षरों अ उ म से मिलकर बना है। अ से आचरण, उ से उच्चारण और म से मन के विचार। आचरण अर्थात हमारा व्यवहार। हमारा व्यवहार सभी को सुख देने वाला होना चाहिये। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हमारी दिनचर्या व्यवस्थित होनी चाहिये। सुबह उठते ही परमात्मा को गुड मार्निंग करने के पश्चात अपने आप को अच्छे विचार देना चाहिए। सुबह उठते ही हम अपने मन को जो विचार देते है वह विचार हमारे जीवन का निर्माण करते है। हमें जीवन में सफलता दिलाते है क्योंकि उस समय हमारा अवचेतन मन पूर्ण जागृत होता है। हमारे अवचेतन मन के पास 90 प्रतिशत पावर है। सुबह उठते ही अवचेतन मन को जो प्रोग्राम देते है वह उसे करने में लग जाता है। सुबह उठते ही अपने मन में विचार करे कि मैं बुद्धिवान आत्मा हूं।
कम से कम पांच बार यह विचार दोहराने से हमारे मस्तिष्क की ग्रंथियां खुल जाती है और बुद्धि का विकास होने लगता है। अपने उज्जवल भविष्य के लिए हमें चरित्रवान होना आवश्यक है। इसलिए सुबह उठते ही विचार करें मैं चरित्रवान आत्मा हूं क्योंकि व्यक्ति की असली कमाई उसका चरित्र ही है जो पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। चरित्र मानव की सर्वोच्च सम्पत्ति है। किसी ने कहा है – धन चला गया कुछ नही गया, स्वास्थ चला गया कुछ चला गया किन्तु यदि चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया। रोज सुबह उठते ही अपने सिर पर हाथ रख अपने-आप को वरदान देना है कि मैं एकाग्रचित्त आत्मा हूं। दादी ने एकाग्रता का अर्थ बताते हुए बच्चों से कहा जब किसी फिल्म को देख कर आते हो तो उसकी स्टोरी याद करनी नहीं करनी पड़ती है, वह स्वत: ही याद हो जाती है क्योंकि पहली बात उसमें इन्ट्रेष्ट होता है और दूसरा उसे हम आंखों से देखते और कानो से सुनते दोनो है। जहां हमारे मन का सोचना और बुद्धि का देखना दोनो साथ-साथ हो जाता है वहां एकाग्रता आ जाती है। दीदी ने बताया कि सुबह के 10 मिनट हमारे जीवन का सबसे मूल्यवान समय होता है। इसलिए इसे रोने-रूसने या चिड़चिड़ाकर खराब ना करें। हम रात को ही दृढ़ संकल्प करके सोये कि हमें इतने समय उठना है उसी समय उठे इससे हमारी दृढ़ता की षक्ति बढ़ती है। दृढ़ता ही सफलता की चाबी है। सुबह उठकर अपने माता-पिता एवं बड़ो का आर्षीवाद भी अवष्य लेना चाहिए। माता-पिता की दुआयें हमें जीवन में आगे बढ़ाती है और हर मुश्किल को आसान कर देती है।

Exit mobile version