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प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार की प्रर्याप्त सुविधा नहीं

कर्मचारियों में जमकर रोष है, प्रताडऩा से त्रस्त होकर ब्लाक के समस्त स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कलेक्टर को ज्ञापन सौंप तत्काल हटाने की मांग की है
नवप्रदेश संवाददाता
बीजापुर/आवापल्ली। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गहरी नींद में लीन हैं। इसी क्षेत्र के निवासी होने के नाते और क्षेत्र के माहौल की भली भांति समझने की वजह स्वास्थ्य मुख्यायल ने वर्षों से जिले में सीएमओं पद पर डॉक्टर बुधराम पुजारी को यथावत रखा है किंतु स्वास्थ्य मुख्यालय के इस सोच से सीएमओ विपरीत कार्य कर रहे हैं। शासन ने आदिवासी बहुमूल्य एवं नक्सल प्रभवित क्षेत्र होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग में अनेक योजनाओं का संचालन कर रही है जिसका लाभ मिलना तो दूर ग्रामीणों को इन योजनाओं की खबर नही है। जबकि जिले में डीपीएम द्वारा प्रचार प्रसार कर योजनाओं से अवगत कराना होता है। लोगों को जागरूक करने नुक्कड़ नाटक मंडली का की अलग से बजट दी जाती है। अधिकारी स्वास्थ्य विभाग के फंड में भेजे गए राशि मे कुंठा मारकर बैठे है,
कागजों में योजना का हवाला दिखा कर अपनी जेब गर्म करने में लगे है। अगर किसी व्यक्ति द्वारा सूचना का अधिकार के तहत जानकरी मांग ने पर पहले उसे मोटी रकम अदा करने का हवाला दिया जाता है। ऐसा ही ताज़ा उदहारण देखने को मिला। जब जननी सुरक्षा योजना से लाभान्वित हुए महिलाओं की सूची आरटीआई के तहत मांगी गई तो आवक जावक में बैठे कर्मचारी , पहले ही दो लाख रुपये शुल्क लगने का हवाला दिया , दो माह से अधिक बीत गया किन्तु जानकारी नहीं दी गई, कार्यालय में जाकर जानकरी नहीं देने के बारे में पूछा गया तो, महिलाओं की संख्या बताने की बात कही और नाम पता बताने से इंकार कर दिया। इस बात से साफ पता चलता है कि अधिकारी नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से कोई पूछ परख करने वाला नहीं होने के कारण अधिकारी जमकर फायदा उठाकर अपनी जेब भर रहे हैं। मातृत्व शिशु जननी सुरक्षा योजना के तहत शासन द्वारा प्रत्येक गर्भवती महिला को 6 हजार की सहायता राशि दो किश्तों में देने की योजना चलाई जा रही है जो कि उनके खाते में सीधे जमा किया जाना है इसमें महिला बाल विकास विभाग की भी अहम भूमिका है।
विभाग की कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के एनएम द्वारा सर्वे कर क्षेत्र में कितने गर्भवती महिलाएं है उनके बैंक एकाउंट नम्बर पूरा पता सहित रिपोर्ट पेश करने के बाद टीका करण के मुताबिक आगे की प्रक्रिया की जाती है। यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान इस सहायता राशि से वंचित रह गई है तो उसे तत्काल पूरी राशि उसके खाते में जमा करने का प्रवधान शासन ने लागू किया हुआ है। परन्तु बीजापुर जिले में शासन की योजनाओं की गंगा उल्टी बह रही है , यहां योजना का लाभ गरीब ग्रामीण को नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य मुख्यालय सहित जिला प्रशासनिक अधिकारी निरीक्षण कर जमीनी स्तर पर हकीकत जानने की कोशिश नहीं करते इसका फायदा उठाते हुए जिले व ब्लाक स्तर पर नियुक्त अधिकारी अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए है।
वही उसूर ब्लाक के एनएचएम डॉक्टर मनीष उपाध्याय को सीएमओ द्वारा बतौर बीएमओ के पद पर नियुक्त किया गया जबकि संविदा कर्मचारी को बीएमओ का जिम्मेदारी देने नियम विरुद्ध है। इसकी वजह है सीएमओ बुधराम पुजारी की खास मेहरबानी इन पर बनी हुई है तभी तो संविदा नियुक्त एक एनएचएम होते हुए इन्हें ब्लाक का सारा निर्णय देने का दायित्व सौंप दिया है जो शासन की फंड को मनमानी तरीके से फर्जी बिल लगा कर स्वयं के हस्ताक्षर से पैसों की उगाही करने लगे है। इसका विरोध करने वाले विभागीय कर्मचारियों से उपाध्याय अभद्र व्यहवार में उतारू हो जाते हैं, यहां तक कि महिला कर्मचारियों को मासिक बैठक में बुलाकर गली गुप्तार किया जाता है। जिनके प्रति कर्मचारियों में जमकर रोष है प्रताडऩा से त्रस्त होकर ब्लाक के समस्त स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कलेक्टर को ज्ञापन सौंप तत्काल हटाने की मांग की है।
कई महिनों तक कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
ज्ञात हो कि यह वही मनीष उपाध्याय है जिनकी पोस्टिंग दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा में हुआ था जिन्हें उसूर ब्लाक से इस कदर मोह था कि कुआकोंडा न जाकर सीधे बासागुड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँच गये और कई महीनों तक बिना वेतन के जमे रहे , किसी कर्मचारी के बिना वेतन के महीनों काम करना सेवा भाव तो नहीं दर्शाता जिन्होने इस दौरान भी नियमों को ताक में रख कर मनमानी तरीके से शासन के पैसों का दुर्पयोग कर खर्च किया गया। जब इसबारे में सीएमओ से पूछने पर अपने बचाव के लिए मनीष उपाध्याय को बीएमओ की पूरी जिम्मेदारी देने से भले ही इंकार किया है लेकिन सत्यता यही है उन्हें खुली छूट दिया गया है यही कारण है कि आला अफ सरों द्वारा भी कुछ नहीं कर पाने का धौंस कर्मचारियों को दिखाते फिरते हैं।

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