-वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए
-भारत और दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहे
नई दिल्ली। Defense Minister Rajnath Singh: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हमेशा शांति का उपासक रहा है और रहेगा। वर्तमान वैश्विक स्थिति को देखते हुए हमें युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए राजनाथ सिंह ने यह प्रतिक्रिया दी। मीडिया से बात करते हुए सिंह ने कहा भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश दिया है। भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है।
भारत हमेशा शांति का उपासक था, है और हमेशा रहेगा। लेकिन आज की वैश्विक स्थिति को देखते हुए मैंने अपने सेना कमांडरों से कहा कि विश्व में और भारत में शांति स्थापित करने के लिए हमें सदैव युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए, ताकि किसी भी परिस्थिति में हमारी शांति भंग न हो।
कुछ दिन पहले लखनऊ में सेना कमांडरों की एक कॉन्फ्रेंस हुई थी। जिसमें सिंह ने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का जिक्र किया था। उन्होंने कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, पूर्वानुमान लगाने और भविष्य में देश के सामने आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा। रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए शीर्ष सैन्य नेतृत्व द्वारा व्यापक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता व्यक्त की।
राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कहा वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, भारत अपेक्षाकृत शांति के माहौल में शांतिपूर्वक विकास कर रहा है। हालाँकि चुनौतियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हमें सतर्क रहने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृतकाल के दौरान अपना संयम बनाए रखें। हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वर्तमान में हमारे आसपास क्या हो रहा है उस पर नजर रखनी चाहिए और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके लिए हमारे पास एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा घटक होना चाहिए। सिंह ने यह भी कहा कि हमारे पास अद्वितीय लचीलापन होना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने सैन्य नेतृत्व से डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। राजनाथ सिंह ने कहा ये तत्व सीधे तौर पर किसी भी संघर्ष या युद्ध में भाग नहीं लेते हैं। उनकी अप्रत्यक्ष भागीदारी युद्ध की दिशा तय करती है।