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Big Decision Of Chhattisgarh Police : फौत और नकबजनी जैसे उर्दू-फारसी के शब्द होंगे चलन से बाहर

Big Decision Of Chhattisgarh Police :

Big Decision Of Chhattisgarh Police :

गृहमंत्री का निर्देश मृतकों के बारे में फौत होना और नकबजनी शब्द जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेगी CG पुलिस

रायपुर/नवप्रदेश। Big Decision Of Chhattisgarh Police : CG पुलिस अब उर्दू और फ़ारसी को बाय बाय बोलने वाली है। राज्य पुलिस में सिर्फ हिंदी को तरजीह दी जाएगी खासकर उन लफ़्ज़ों को पुलिस कार्रवाई में उपयोग नहीं किया जायेगा जो चलन से बाहर हैं या आम आदमी की समझ में नहीं आते हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस की शब्दावली से ऐसे उर्दू-फ़ारसी के अल्फ़ाज़ों(शब्दों) को हटाया जायेगा। फौत और नकबजनी जैसे उर्दू-फारसी के शब्द को गृहमंत्री विजय शर्मा ने हटाने और चलन से बाहर करने का निर्देश दिया है।

गृह मंत्री विजय शर्मा ने मुख्य सचिव को दिया निर्देश

गृह मंत्री विजय शर्मा ने गृह विभाग के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि, पुलिस की कार्यप्रणाली में चलन से बाहर हो चुके शब्दों को हटाकर जनता की समझ में आने वाले शब्दों का उपयोग किया जाए। दरसअल, क्राइम केसेस के भी नाम उर्दू-फारसी में होते हैं। जैसे पुलिस कई जगहों पर मृतकों के बारे में फौत होना लिखती है। जिसका मतलब मृत्यु होने से है। इसी तरह नकबजनी शब्द का इस्तेमाल होता है। जिसका मतलब है नकाबपोश चोरों का घर, दुकान में घुसकर चोरी या सेंधमारी करना है। हालांकि, पुलिस ये शब्द अपनी FIR में प्रयोग करती है।

मुग़ल और ब्रिटिश शासन काल से चलन में ये लफ्ज़

रोजनामचा खास- अपराध दैनिक
सफीना – बुलावा पत्र
हाजा – स्थान अथवा परिसर
अदम तामील- सूचित न होना
अदम तकमीला- अंकन न होना
अदम मौजूदगी – बिना उपस्थिति
अहकाम- महत्वपूर्ण
गोस्वारा – नक्शा
इस्तगासा- दावा, परिवाद
इरादतन – साशय
कब्जा- आधिपत्य
कत्ल/कातिल/कतिलाना – हत्या,वध/हत्यारा/प्राण-घातक
गुजारिश – प्रार्थना, निवेदन
गिरफ्तार/हिरासत – अभिरक्षा
नकबजनी – गृहभेदन, सेंधमारी
चश्मदीद गवाह – प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी

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