नयी दिल्ली। kisan andolan: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत में प्रगति न होने पर सोमवार को चिंता जताते हुए केंद्र से पूछा कि क्यों न तीनों कानूनों पर रोक लगा दी जाये?
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों न तीनों कानूनों पर उस वक्त तक रोक लगा दी जाये, जब तक न्यायालय (kisan andolan) द्वारा गठित समिति इस मामले पर विचार न कर ले और अपनी रिपोर्ट न सौंप दे।
हालांकि एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कानूनों पर रोक की न्यायालय की सलाह का कड़ा विरोध किया। न्यायमूर्ति बोबडे ने पूछा, “आप हमें बतायें कि क्या आप किसान कानूनों पर रोक लगाते हैं या हम लगायें। इन कानूनों को स्थगित कीजिए। इसमें क्या मसला है?
हम इसे आसानी से रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि कानून (kisan andolan) को फिलहाल लागू न करें।” न्यायालय ने कहा कि कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली है, बूढ़े बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। आखिर हो क्या रहा है? आज तक एक भी याचिका ऐसी दायर नहीं हुई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून अच्छे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार और किसानों (kisan andolan) के बीच बातचीत पर कोई प्रगति नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि अगली बैठक 15 जनवरी के लिए निर्धारित है।
लंबी बहस के बाद एटर्नी जनरल ने हड़बड़ी में कोई आदेश पारित न करने खंडपीठ से अनुरोध किया, लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे ने नाराजगी जताते हुए कहा, “मिस्टर एटर्नी जनरल आप धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दें। हमें जल्दबाजी में क्यों न रोक लगानी चाहिए।”
न्यायमूर्ति बोबडे ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि वह आज या कल मामले में अपना आदेश जारी करेंगे। संभव है आज भी आंशिक आदेश जारी हो और कल पूरा आदेश।