बंदूक की सफाई के दौरान सीने में लगी गोली को सफलतापूर्वक निकाला
रायपुर/नवप्रदेश। Big Achievement : लखनपुर निवासी 20 वर्षीय युवक के छाती की हड्डी को चीरते हुए बायें फेफड़े में जा लगी बंदूक (एयरगन) की गोली को सर्जरी कर सफलतापूर्वक निकाल लिया। मरीज को गोली लगने से फेफड़े बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे, जिसे एसीआई के हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टर कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में रिपेयर किया गया। फेफड़े की सर्जरी के बाद मरीज स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है तथा डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।
हार्ट को कोई नुकसान नहीं लेकिन सांस लेने में तकलीफ
20 वर्षीय युवक के मुताबिक (Big Achievement) कुछ दिनों पूर्व अपने घर पर बंदूक (चिड़ीमार बंदूक) को साफ करते-करते अचानक बटन दब जाने से गोली छाती की हड्डी (स्टर्नम) को छेदते हुए सीधे बायें फेफड़े को जा लगी। इससे फेफड़े का ऊपरी एवं निचली हिस्सा काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस घटना से बायीं छाती के अंदर (प्लुरल केविटी) में बहुत अधिक खून भर गया था एवं फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने के कारण हवा भर गया था। हालांकि इसे डॉक्टर की भाषा में हीमोन्युमोथोरेक्स (छाती की दीवार और फेफड़े के बीच रक्त का जमाव) कहते हैं। इस कारण मरीज ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। सबसे अच्छी बात यह रही कि यह गोली हार्ट के ठीक किनारे से निकल गई एवं हार्ट को कोई नुकसान नहीं हुआ। हार्ट को कोई नुकसान नहीं होने की वजह से ही मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाया।
छाती में ट्यूब डालकर मरीज को किया स्थिर
मरीज जब अस्पताल पहुंचा तब उसकी सांस फूल रही थी। फिर उसके छाती में ट्यूब (Big Achievement) डाला गया। ट्यूब डालने से हवा एवं खून बाहर निकल गया। इस प्रक्रिया के माध्यम से टेंशन नीमोथोरेक्स को रिलैक्स किया गया एवं हीमोडायनेमिकली (रक्तचाप और हृदय गति का स्थिर होना) स्थिर किया गया। फिर दूसरे दिन सर्जरी करने की योजना बनायी गई।
सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू ने कहा- सर्जरी में पोर्टेबल डिजिटल एक्स-रे मशीन का किया प्रयोग
हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू (Big Achievement) ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, बायीं छाती को खोल करके फेफड़े को रिपेयर किया गया। पहले तो गोली को ढूंढ़ा गया। गोली की साइज 8 मिमी. गुणी 4 मिमी. थी जिसके कारण इतने बड़े फेफड़े में उसे ढूंढऩे में परेशानी हो रही थी। इसके लिए हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में उपलब्ध अति उच्च तकनीक वाले डिजिटल एक्स-रे मशीन का उपयोग किया गया। पोर्टेबल डिजिटल एक्स-रे मशीन को ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर वास्तव इमेज से फेफड़े के उस स्थान को सटीकता से चिन्हित कर आपरेट किया। इस दौरान मरीज को बेहोश करके उसके ट्रेकिया में डीएलटी (डबल ल्यूमेन ट्यूब) डाला गया जिससे कि सर्जरी के समय जिस फेफड़े में सर्जरी हो रहा है उस फेफड़े का श्वसन बंद किया जा सके।
पोर्टेबल डिजिटल एक्स-रे मशीन की खासियत
- एक्स रे लेने के तुरंत बाद चंद सेकंड में ही प्राप्त हो जाती है इमेज।
- जिससे बड़ी स्क्रीन के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है।
- अन्य मशीनों की तुलना में समय बहुत कम लगता है।
- वास्तविक इमेज प्राप्त होती है।
- यह मशीन डिजीटल कैमरे की तरह होती है।
- जो फोटो खींचने पर तुरंत छवि प्रदान करती है।
- पोर्टेबल होने के कारण आसानी से कहीं भी ले जाया सकता है।
- बड़े ऑपरेशन में भी इसे ऑपरेशन थियेटर के अंदर ले जाया जा सकता है।
टीम में शामिल विशेषज्ञ
- हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू
- डॉ. निशांत सिंह चंदेल, एनेस्थेटिस्ट
- डॉ. अनिल गुप्ता, एनेस्थेसिया
- भूपेन्द्र, टेक्नीशियन
- राजेन्द्र, मुनेश, नर्सिंग स्टाफ