Bharat Band 2020 : किसानों के इस अल्टीमेटम के बाद भी सरकार अपने रुख अडिग
नई दिल्ली/रायपुर/नवप्रदेश। bharat band 2020: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान अपने आंदोलन पर अडिग है। किसानों को तीनों कानून रद्द किए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। 5 दिसंबर को सरकार के साथ हुई बैठक में किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को स्पष्ट कर दिया था उन्हें अपनी मांगों लेकर हां या ना में जवाब चाहिए वरना 8 दिसंबर को भारत बंद (bharat band 2020) किया जाएगा।
किसानों के इस अल्टीमेटम के बाद भी सरकार अपने रुख अडिग है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को साफ कह दिया कि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे। किसानों की मांग अनुसार कुछ संशोधन जरूर हो सकते हैं। हां या ना के विकल्प पर ना के जवाब के परिणामस्वरूप आंदोलन के 13वें दिन यानी मंगलवार को किसानों के बुलाए भारत बंद का अच्छा खासा प्रतिसाद मिल रहा है।
किसानों को कांग्रेस, सपा, टीएमसी, वामदल समेत 20 राजनीतिक दलों का समर्थन मिल गया। 10 ट्रेड यूनियन ने भी किसानों के भारत बंद (bharat band 2020) का समर्थन किया है, जिससे किसानों का हौसला बढ़ गया है। देेश के कई राज्यों में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। व्यापार व मजदूर संगठनों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। नतीजतन बाजारों में सन्नाटा पसरा। सिर्फ जरूरी सेवाओं संबंधी प्रतिष्ठान ही शुरू रहे।
छत्तीसगढ़ में हर वर्ग दे रहा भारत बंद को समर्थन
छत्त्तीसगढ़ कांग्रेस ने सोमवार को ही प्रदेश के सभी वर्गों को किसानों के भारत बंद का समर्थन देने की अपील की थी। नतीजा ये हुआ कि प्रदेश के किसानों, व्यापारियों, आम नागरिकों, मजदूर संगठनों ने बंद का समर्थन किया। जो दुकानें खुली भी उनकेे संचालकों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं केे साथ ही मजदूर संगठनों की अपील पर उन्हें बंद कर दिया। राजधानी की सड़कों पर लोगों की आवाजाही न के बराबर ही दिखी। और जो लोग आवाजाही कर रहे थे, वे अस्पताल, दवा इत्यादि जरूरी सेवाओं के लिए ही बाहर निकले। कांग्रेस नेताओं ने राजधानी के जयस्तंभ चौक पर किसानों के हित में आवाज बुलंद की।