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2025 में सावधान रहें! ‘इस’ राशि में लगेगा साढ़े साती, 2 राशि होगी प्रभावित; करें ये उपाय !

Be careful in 2025! 'This' zodiac sign will be affected by 'Sadhe Sati', 2 zodiac signs will be affected; follow these remedies!

shani sade sati 2025

shani sade sati 2025: शनि साढ़े साती 2025: ज्योतिष शास्त्र में साल 2025 को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस वर्ष नवग्रहों में से चार सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली ग्रह गोचर करेंगे। कहा जा रहा है कि इसका न सिर्फ राशि और मूलांक पर बल्कि देश-दुनिया पर भी गहरा असर पड़ सकता है। इस साल की एक और खासियत यह है कि तीन राशियों को बड़ी राहत मिलेगी। इनमें से एक राशि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी और दो राशियों पर शनि का भारी प्रभाव खत्म हो जाएगा। लेकिन इसी समय एक राशि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी और दो राशियों पर भारी प्रभाव पड़ेगा।

नवग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। एक बार जब शनि मीन राशि में प्रवेश करता है, तो अगले ढाई साल इसी राशि में रहेंगे। शनि (shani sade sati 2025) के मीन राशि में प्रवेश के बाद इस राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे। खास बात यह है कि राहु ग्रह इस समय मीन राशि में है। मई में राहु वक्री गति से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। अत: इस दौरान शनि और राहु की युति मीन राशि में रहेगी। इसका बड़ा असर होगा।

कौन सी राशि साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव से प्रभावित होगी

शनि के मीन राशि में प्रवेश करने पर मेष राशि की साढ़े साती शुरू होगी। मेष राशि का पहला चरण शुरू होने वाला है। तो सिंह और धनु राशि पर ढीला प्रभाव शुरू होने वाला है। कहा जा रहा है कि आने वाला समय इन तीनों राशियों के लिए कुछ चुनौतीपूर्ण और मिला-जुला रह सकता है। ऐसे में कुछ उपाय बेहद उपयोगी और असरदार हो सकते हैं, ऐसा कहा जाता है।

मेष राशि

शनि की साढ़े साती और ढैया का प्रभाव आने वाले वर्षों में कई लोगों के जीवन पर पड़ेगा। शनि की साढ़े साती 29 मार्च, 2025 से 31 मई, 2032 तक, जबकि ढैया 13 जुलाई, 2034 से 27 अगस्त, 2036 और 12 दिसंबर, 2043 से 8 दिसंबर, 2046 तक रहेगी।

शनि की साढ़े साती: 29 मार्च 2025 से 31 मई 2032 तक।
शनि की ढैया: 13 जुलाई 2034 से 27 अगस्त 2036 और 12 दिसंबर 2043 से 8 दिसंबर 2046 तक।

क्या आपको साढ़े साती में सटीक उपाय करने चाहिए?

(उक्त जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है और इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह लेना उपयोगी हो सकता है।)

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