कर्ज वितरण में वृद्धि और ब्याज खर्च में कमी के चलते आने वाली तिमाहियों में बैंकों (Bank Profit Growth) के लाभ में सुधार की संभावना जताई जा रही है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की लाभप्रदता को आने वाले महीनों में चार प्रमुख कारकों से समर्थन मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM – Net Interest Margin) वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में क्रमिक रूप से कम रह सकता है। हालांकि, अगर (Interest Rate Cut) आगे ब्याज दरों में कोई और कटौती नहीं होती है, तो यह अपने निचले स्तर पर स्थिर हो जाएगा। अधिकांश बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों पर रिटर्न में हल्की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन जमा और उधार की कम लागत ने इसकी आंशिक रूप से भरपाई कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सावधि जमा (Fixed Deposit Repricing) के पुनर्मूल्यन का पूरा लाभ वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में दिखेगा। पहली तिमाही में कर्ज वितरण की गति धीमी रही थी, लेकिन (Loan Growth) त्योहारी सीजन और जीएसटी दरों में कटौती के असर से अब इसमें तेजी देखने को मिल रही है।
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 3 अक्टूबर 2025 तक बैंकिंग प्रणाली के ऋण में तिमाही-दर-तिमाही 4.2 प्रतिशत और वर्ष-दर-वर्ष 11.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा वृद्धि ठीक रही है, लेकिन कुल मिलाकर जमा वृद्धि अब भी ऋण वृद्धि से कम है। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में अगर जमा दरों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं होती, तो बैंकों की ब्याज लागत घटेगी, जिससे उनकी लाभप्रदता और बढ़ेगी। निजी बैंकों के प्रदर्शन में भी सुधार के संकेत मिल रहे हैं, खासकर खुदरा और कृषि ऋण सेगमेंट में।

