संपादकीय: पाक की राह पर बांग्लादेश

संपादकीय: पाक की राह पर बांग्लादेश

Bangladesh on the path of Pakistan

Bangladesh on the path of Pakistan

Bangladesh on the path of Pakistan: आखिरकार बांग्लादेश भी पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है। वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलटा दिया गया है। शेख हसीना को देश छोडऩे के लिए बाध्य होना पड़ा है।

पूरे बांग्लादेश में अराजक तत्वों ने ऐसा कोहराम मचाया कि वहां का जनजीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है। सड़कों पर उतरी उन्मादियों की हिंसक भीड़ ने सरकारी और निजी संपत्तियों को तहस-नहस करके रख दिया है।

उपद्रवियों ने शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीब की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। बांग्लादेश की सेना इतनी सक्षम नहीं है कि वह अराजक तत्वों पर काबू पा सके। हालांकि अभी बांग्लादेश की कमान वहां की सेना के हाथों में आ गई है, लेकिन सत्ता संभाल पाना उसके बस का रोग नहीं दिखता।

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमा ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और यह कहा है कि जल्द ही सभी राजनीतिक पार्टियों की भागीदारी वाली अंतरिम सरकार बना ली जाएगी, किन्तु यह काम भी इतना आसान नहीं है। इस अंतरिम सरकार में कौन-कौन से विपक्षी दल शामिल होंगे और वे कितनी स्थिर सरकार दे पाएंगे।

वहीं बांग्लादेश (Bangladesh on the path of Pakistan) के बिगड़ते हालातों पर काबू पाने में कितने कामयाब हो पाएंगे यह कह पाना फिलहाल मुहाल है। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ आंदोलन बहुत पहले से चल रहा था, लेकिन शेख हसीना की सरकार इस खतरे को भांप नहीं पाई।

सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे ने आग में घी डालने का काम किया जिसकी वजह से आंदोलन उग्र हो गया। हालांकि स्थिति को बेकाबू होता देखकर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरक्षण खत्म करने की घोषणा कर दी जिससे आंदोलन दो दिनों तक शांत रहा, लेकिन फिर ऐसी अराजकता फैली की हालात बेकाबू हो गए।

नतीजतन प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोडऩा पड़ गया। कुल मिलाकर बांग्लादेश भी अब पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है।

जहां कट्टरपंथी ताकतें स्थिर और लोकतांत्रिक सरकार देखना पसंद नहीं करती। भले ही इसकी उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। पाकिस्तान आज दिवालिएपन की कगार पर इसीलिए पहुंचा है कि वहां लोकतांत्रिक सरकार चल ही नहीं पाती चाहे किसी भी सरकार हो उस पर सेना का दखल होता है।

इसी का खामियाजा आज पाकिस्तान भुगत रहा है और मुल्क-मुल्क भीख का कटोरा लेकर घुम रहा है। अब ऐसे ही हालात बांग्लादेश के भी हो जाएं तो कोई ताज्जुब नहीं होगा।

बांग्लादेश (Bangladesh on the path of Pakistan) में एक लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ करने के लिए बड़ी साजिश रचे जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है जो सही लगती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी बांग्लादेश में अराजकता का माहौल बनाने की लंबे समय से कोशिश कर रही है। पाकिस्तान को चीन की भी मदद मिल रही है। दरअसल चीन बांग्लादेश में अपना सैन्य ठिकाना स्थापित करने का मनसूबा बनाये हुए है।

चीन ने पहले श्रीलंका को कर्ज में डुबाकर वहां अपना सैन्य ठिकाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन श्रीलंका सरकार ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। चीन ने बांग्लादेश की शेख हसीना के सामने भी ऐसी ही पेशकश की थी जिसे शेख हसीाना ने ठुकरा दिया था।

इसी के बाद से बांग्लादेश में तख्तापलट की साजिश रची गई जो सफल हो गई। रही बात भारत की तो उसे अब और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले एक दशक से संबंध ठीक ही रहे हैं, लेकिन अब वहां जो अंतरिम सरकार बनेगी उसमें सेना का दखल होना स्वाभाविक है और कट्टरपंथियों की भी ताकत बढऩा लगभग तय है।

ऐसी स्थिति में भारत को सोच समझ कर ही कदम उठाना पड़ेगा। यदि बांग्लादेश वाकई पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा तो भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद और गहरा जाएगा, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।

भारत को सीमा पर भी चौकसी बढ़ानी होगी। क्योंकि बांग्लादेशियों के भारत में घुसपैठ का खतरा बढ़ जाएगा। अभी भी बांग्लादेश से भारत में लगातार घुसपैठ हो रही है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पहले ही कह दिया है कि यदि बांग्लादेश से पीडि़त लोग मदद की गुहार लगाएंगे तो हम उन्हें शरण देंगे।

हालांकि भारतीय संविधान किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को यह अधिकार नहीं देता है कि वह अपने प्रदेश में किसी दूसरे देश के नागरिक को शरण दे। इस बारे में केन्द्र सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है, जैसा कि 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लिया था।

पाकिस्तान के दो टुकड़े करने के बाद शेख मुजीब के नेतृत्व में नए मुल्क के रूप में बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। तब लाखों बांग्लादेशियों को भारत में शरण दी गई थी। अभी बांग्लादेश में ऐसी जंग की स्थिति नहीं है कि वहां के लोगों को भारत में शरण देनी पड़ी।

केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह भारत-बांग्लादेश सीमा पर कड़ी सुरक्षा का इंतजाम करे, ताकि वहां के लोग भारत में घुसपैठ न कर सकें। इसके साथ ही भारत को अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए बांग्लादेश में स्थिति को सामान्य बनाने के लिए उचित पहल करनी चाहिए।

क्योंकि पड़ोसी देशों में अस्थिर सरकार भारत के हित में नहीं है और यदि ऐसी सरकार पर कट्टरपंथियों और सेना का वर्चस्व कायम हो गया तो भारत के लिए दिक्कत हो सकती है। अभी तो उसे सिर्फ पाकिस्तान से निपटना पड़ रहा है। आगे चलकर बांग्लादेश भी भारत के लिए समस्या खड़ी कर सकता है और आगे चलकर भारत को दो मोर्चों पर लड़ाई लडऩी पड़ सकती है।

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