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Baby Elephant Death Korba : जंगल की गोद में बुझी एक नन्ही सांस…बगधरीडांड में नवजात हाथी की मौत…हथिनी की ममता देख नम हुईं आंखें…

Baby Elephant Death Korba

Baby Elephant Death Korba

Baby Elephant Death Korba : छत्तीसगढ़ के कोरबा वन मंडल के पसरखेत रेंज अंतर्गत बगधरीडांड जंगल से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां महज दो दिन के एक नवजात हाथी की निमोनिया से मौत हो गई। भारी बारिश, कीचड़ और ठंड ने उस मासूम जानवर को जन्म लेते ही जिंदगी से दूर कर दिया। इस दर्दनाक घटना के गवाह बने वनकर्मी और ग्रामीण, जिनकी आंखों में हथिनी की ममता और बच्चे की लाचार सांसें हमेशा के लिए बस गईं।

हथिनी की चिंघाड़ से मिला संकेत

तीन दिन पहले ही इसी क्षेत्र में एक वयस्क हाथी की करंट लगने से मौत हो चुकी थी। तब से वन विभाग की निगाहें इस क्षेत्र पर टिकी थीं। बगधरीडांड(Baby Elephant Death Korba) के जंगलों में हथिनी की चिंघाड़ लगातार सुनाई दे रही थी, जिसने वनकर्मियों को सावधान कर दिया। अगले दिन जब टीम मौके पर पहुंची तो देखा, हथिनी ने एक नवजात को जन्म दिया था।

माँ करती रही कोशिशें, बच्चा न उठ सका

गवाही देने वालों का कहना है कि हथिनी बार-बार अपने बच्चे को कीचड़ से उठाने की कोशिश कर रही थी। मगर बच्चा बहुत कमजोर और सुस्त था। फेफड़ों में म्यूकस जमने और ठंड लगने से उसका शरीर जवाब दे रहा था।

वन विभाग की कोशिशें भी न बचा सकीं जान

वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि सूचना मिलते ही बिलासपुर के कानन पेंडारी से विशेषज्ञ डॉ. पी.के. चंदन को बुलाया गया। ड्रोन कैमरे(Baby Elephant Death Korba) से निगरानी की गई, लेकिन हथिनी बेहद आक्रामक और सतर्क थी, उसने रेस्क्यू टीम को पास नहीं आने दिया।

सांसें रुकीं, जंगल में ही मिला अंतिम ठिकाना

रविवार सुबह हथिनी कुछ दूरी पर गई, तब टीम नवजात के पास पहुंची। अंतिम सांसें चल रही थीं। तत्काल जीवन रक्षक घोल दिया गया, मगर बहुत देर हो चुकी थी। बच्चे को जंगल में ही दफनाया गया।

अब भी 35 हाथियों का दल जंगल में सक्रिय

जानकारी के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 35 हाथियों का दल विचरण कर रहा है, जिनमें चार छोटे बच्चे भी हैं। वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल में न जाने की सख्त हिदायत दी है। वनकर्मी लगातार गश्त और निगरानी में जुटे हैं।

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