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सबूत ही नहीं कि बाबर ने बनाई मस्जिद तो मुस्लिम पक्ष को कैसे दें भूमि

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नई दिल्ली/नवप्रदेश। अयोध्या विवाद (ayodhya vivad) मामले की गुरुवार को हुई सुनवाई (hearing) के दौरान राम जन्मभूमि (ram janmbhoomi) पुनरुद्धार समिति ने कहा कि विवादित भूमि (disputed land) मुस्लिम पक्ष (muslim paksha) को नहीं दी जा सकती। समिति ने इसके पीछे तर्क दिया कि मुस्लिम पक्ष यह साबित नहीं कर पाया है कि बाबर ने ही मस्जिद का निर्माण किया था।

पुरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष ये बात कही। उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संशय नहीं है कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर ही बनाया गया था। क्योंकि उस जगह से मंदिर के अवशेष मिले हैं।

मिश्रा ने दलील दी कि बाबर ने मस्जिद नहीं बनवाई थी और न ही वह विवादित भूमि (disputed land) का मालिक रहा। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का मामले में दावा ही नहीं बनता। मुस्लिम पक्ष ये साबित नहीं कर पाए थे कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का दिया फैसला :

अपनी बात को पुष्ट करने के लिए मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट कह चुका है कि यह साबित नहीं हो पाया है कि विवादित जमीन (disputed land) पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किसने कराया था। बाबर ने या औरंगजेब ने। उन्होंने कहा, ऐसे में सवाल उठता है कि जब कोई सबूत ही नहीं है तो मुस्लिम पक्षकार को विवादित भूमि पर कब्जा या हिस्सेदारी नहीं दी जा सकती।

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