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संपादकीय: कनाडा में हिन्दू मंदिर पर हमला चिंतनीय

Attack on Hindu temple in Canada is worrying

Attack on Hindu temple in Canada is worrying

Attack on Hindu temple in Canada is worrying: भारत और कनाडा के बीच संबंधो में पड़ी दरार के चलते कनाडा की ट्रूडो सरकार ने अब कनाडा में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा में कोताही बरतनी शुरू कर दी है।

नजीतन कनाडा के बै्रम्टन स्थित एक मंदिर मेें जुटे हिन्दुओं पर चरम पंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया। ऐसे हमले की पहले से ही आशंका थी। इसलिए हिन्दुओं की ट्रूडो सरकार से सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की थी जिसकी अंदेखी की गई।

नतीजतन खालिस्तानियों ने हिन्दु मंदिर पर हमला करने का दुहसाहस दिखाया। इस हमले के बाद वहां पहुंची कनाडा पुलिस ने इस हमले को रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

इसी से स्पष्ट है कि कनाडा सरकार के समर्थन से ही चरम पंथियों ने हिन्दुओं पर हमला कर वहां दहशत फैलाने की कोशिश की। इन हमलावरों में कनाडा पुलिस का एक सिपाही भी शामिल था जिसका वीडियो वायरल होने के बाद कनाडा सरकार ने उस हमलावर पुलिसकर्मी को निलंबित किया है।

इस घटना को भारत ने गंभीरता से लिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा के एक हिन्दु मंदिर पर किए गए हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि ऐसे हमलो को भारत स्वीकार नहीं करेगा। और ऐसे कृत्यों से हमारा संकल्प भी कमजोर नहीं होगा।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि वह हिन्दु मंदिर पर हुए हमले में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाए।

भारत सरकार कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सलामती को लेकर चिंतित है और उसने ट्रूडो सरकार को अपनी इस चिन्ता से अवगत कराते हुए कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तो कनाडा सरकार पर आरेाप लगाया है कि वह भारतीय राजनयिकों की जासूसी करा रही है और जानबूझकर ऐसे हालात निर्मित कर रही है जिससे खालिस्तानी आतंकवादियों के हौसले बुलंद हो रहे है।

भारत इसे बर्दाशत नहीं करेगा। गौरतलब है कि कनाडा में एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के बाद से कनाडा और भारत के संबंधो में दरार पड़ गई है।

खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में यह बयान दिया था कि इस हत्याा के पीछे भारतीय ऐजेंसियों का हाथ है।

इसका भारत ने पुरजोर शब्दों में खंडन किया था और जस्टिन ट्रूडो से यह मांग की थी की वे अपने आरोप का सबूत दे। लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने आजतक इसके कोई सबूत नहीं दिये है। और वे लगातार ऐसे झूठे आरोप लगाकर भारत की छवि को धूमिल कर रहे है।

इससे नाराज होकर भारत ने कनाडा से अपने कई राजनयिको को कनाडा से भारत वापस बुला लिया था और भारत में रहने वाले कनाडा के राजनयिकों को देश से बाहर निकाल दिया था।

इसके बाद से भारत और कनाडा के बीच संबंध और बिगड़ गए है। अब कनाडा में हिन्दु मंदिर पर हमले की घटना के बाद तो दोनों देशो के बीच तल्खी और ज्यादा बढ़ गई है।

यदि कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार खालिस्तानी आतंकवादियों को इसी तरह सह देती रही तो दोनों के बीच राजनयिक संबंध टूट भी सकते है जिससे भारत को कोई ज्यादा फर्क नही पड़ेगा लेकिन कनाडा का इसका ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।

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