रायपुर, नवप्रदेश। राहु काल …..एक ऐसा नाम जिसको सुनते ही मन में सैकड़ो तरह के विचार पैदा हो जाते है दिलो दिमाग पर एक अजीब सा डर हावी (Astrology) हो जाता है ….
क्या होता है राहुकाल
मंथन मे अमृत निकला था उसे पीने के लिए दैत्यों का सेनापति राहू देवताओ कि पंक्ति में बैठ गया और जैसे ही उसने अमृत पान किया वैसे ही सूर्य और चन्द्र के पहचाने जाने के कारण भगवान् विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहू गर्दन (Astrology) काट दी ।
राहु का सिर कटने की घटना उस दिन शायंकाल की है जिसे पूरे दिन के घंटा मिनट का आँठवा भाग माना गया। कालगणना के अनुसार पृथ्वी पर किसी भी जगह के सूर्योदय के समय से सप्ताह के पहले दिन सोमवार को दिनमान के आँठवें भाग में से दूसरा भाग, शनिवार को दिनमान के आठवें भाग में से तीसरा भाग, शुक्रवार को आठवें भाग में से चौथा भाग, बुधवार को पांचवां भाग, गुरुवार को छठा भाग, मंगलवार को सातवां तथा रविवार को दिनमान का आठवां भाग राहुकाल (Astrology) होता होता है।
राहु काल का समय (सूर्य उदय की समय लगभग 6बजे लिया गया है)
रविवार
सायं 4:30 से 6:00 बजे तक।
सोमवार
प्रात:काल 7:30 से 9:00 बजे तक।
मंगलवार
अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक।
बुधवार
दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक।
गुरुवार
दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक।
शुक्रवार
प्रात:10:30 से दोपहर 12:00 तक।
शनिवार
प्रात: 9:00 से 10:30 बजे तक।
इसलिए राहू की गर्दन के काटने के समय को राहू काल कहा जाता है जो अशुभ माना जाता है। इस काल में आरम्भ किये गए कार्य-व्यापार में काफी दिक्कतों के बाद कामयाबी मिलती है, इसलिए इस काल में कोई भी नया कार्य आरम्भ करने से बचना चाहिए ।
❌क्यों राहुकाल में कोई शुभकार्य नहीं करते ?
जैसा की नाम से ही पता चलता है राहु काल मतलब राहू का समय । राहू को शुभ ग्रह नहीं माना जाता है इसको हमेशा नकारात्मक ग्रह माना जाता है । राहु-काल का मतलब है की यह समय अच्छा नहीं है ।
राहू काल में कार्यो के पूर्ण होने की संभावना कम होती है । इस समय पर जो कार्य प्रारम्भ किये जाते है उनके सफल होने के लिये अत्यधिक प्रयास करने पडते हैं, उन कार्यों मे कुछ न कुछ व्यवधान लगा ही रहता है राहु काल में विवाह , शुभ संस्कार, यात्रा का प्रारम्भ करना निषेध हैं।
राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढी व बहीखातों का काम नही करना चाहिये । मान्यता अनुसार किसी भी पवित्र, शुभ या अच्छे कार्य को इस समय आरंभ नहीं करना चाहिए।
राहुकाल प्रायः प्रारंभ होने से दो घंटे तक रहता है । पौराणिक कथाओं और वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए ।