रायपुर, नवप्रदेश। 1) बिस्तर को दक्षिण या पूर्व दीवाल (Astrology) पर रखें !!
2) बिस्तर के ठीक सामने दर्पण ना रखें !!
3) शयन कक्ष को स्टोर रुम ना बनाएं !! शयन कक्ष में समान फैला हुवा अव्यवस्थित ना रखें !!
4) शयन कक्ष में प्राकृतिक हवा और प्रकाश के लिए खिड़की (Astrology) बनाएं !!
5) रात को सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और वाई फाई को बंद करें !!
6) शयन कक्ष में पेंटिग का चयन सावधानी पूर्वक करें !!
7) रंगों का चयन अपनी लाभदायक कुंडली के अनुसार करें !!
इसके अलावा निम्न बातों का भी ध्यान रखें :-
मेहनत और नींद :-
मेहनत करने से सुकून की नींद आती है, क्योंकि इससे दर्द निवारक रसायन एंडोर्फिन निर्मित होता है। प्रगाढ़ नींद लेने के बाद अगले दिन ज्यादा श्रम के लिए शरीर में ऊर्जा (Astrology) आ जाती है। स्फूर्ति और शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार श्रम और विश्राम दोनों एक-दूसरे को बढ़ाते हैं।
सोने और उठने का समय :-
बिगड़ी दिनचर्या की वजह से नींद का समय बाधित होता है। दिनचर्या में नियमितता जरूरी है। निश्चित समय पर सोना और निश्चित समय पर उठना बहुत जरूरी है। शरीर की बायोलाजिकल क्लॅाक को रिसेट करने के लिए एक बार फैसला कर लें कि कितने बजे जागना है और कितने बजे सोना है। फिर उस नियम का पालन करें।
👉 शुरु में 3-4 दिन कठिनाई महसूस हो किंतु शीघ्र ही देह और दिमाग इस पैटर्न के आदी हो जाते हैं। तब ठीक वक्त पर अपने आप नींद आने लगती और खुलने भी लगती है।
रोशनी नहीं अंधेरा चाहिए :-
हम लगातार अंधकार से दूर होते जा रहे हैं ! अंधेरे की जरूरत है मेलाटोनिन रसायन बनाने के लिए, जिससे नींद आती है। सोने से एक घंटे पहले, घर में तेज लाइट न जलाएं। शाम के बाद मेाबाइल और लेपटॅाप स्क्रीन से दूर रहें। एल ई डी स्क्रीन से निकली नीली प्रकाश किरणें जब आंखों पर पड़ती हैं तो ब्रेन को सूचना मिलती है कि अभी दिन का वक्त है। बेचारा मस्तिष्क दिग्भ्रमित हो जाता है। इस कन्फ्यूजन में वह मेलाटोनिन का निर्माण नहीं कर पाता।
शराब और कैफीन से दूरी :-
शराब और कैफीन के असर से नींद डिस्टर्ब होती है। याद रखिए कि एल्कोहल सेडेटिव नहीं है। शराबी की नींद कई खंडों में टूटती है, विश्राम की गहराई घट जाती है। चाहे कोई व्यक्ति कहे कि मुझे डिनर के बाद कॉफी पीने से नींद में कोई बाधा नहीं पड़ती। किंतु अध्ययन से पता चलता है कि उसकी नींद उथली रहती है, शांतिपूर्ण नहीं होती। नींद तो आती है मगर सुबह वैसी ताजगी और स्फूर्ति प्राप्त नहीं होती, जैसी होनी चाहिए।
बिस्तर और नींद :-
बिस्तर में 20 मिनट से अधिक जागे हुए न रहें। बिस्तर और निद्रा का एसोसिएशन होना चाहिए। यदि किसी रात 20 मिनिट तक नींद नहीं आई तो दूसरे कमरे में चले जाएं। वहां मद्धिम रोशनी जलाएं। साहित्यिक रुचि है तो कुछ पढ़ लें। जब नींद घेरने लगे तब अपने शयन कक्ष में वापस लौटें।
नींद और ध्यान :-
ध्यान और नींद भी जुड़े हुए हैं। नींद यानी बेहोशी, ध्यान यानी होश। जो व्यक्ति दिन भर जितना होशपूर्वक जीएगा वह रात में उतनी ही गहरी नींद लेता है। रात में जो प्रगाढ़ निद्रा में डूबता है वह दिन में उतनी ही सजगता साधने का हकदार हो जाता है। जिसकी नींद गहरी नहीं लगी, वह ध्यान साधना भी ठीक से नहीं कर सकता।
सुपाच्य भोजन लें :-
चूंकि खाना पचाने के लिए आंतों में रक्त संचार बढ़ जाता है अत: परिणामस्वरूप दिमाग में जाने वाले खून की मात्रा कम हो जाती है। सोने से 2 घण्टे पहले भोजन लेने से गहरी नींद आती है। डिनर के वक्त कुछ कम भोजन लिया जाए। ताकि कुल मिलाकर कैलोरी का हिसाब-किताब संतुलित रहे।
मेडिटेशन , विपस्सना आदि। रात में योग निद्रा का प्रयोग उपयोगी है। इसके लिए मन ही मन स्वयं को सुझाव देकर रिलेक्सेशन करना सीखें।