रायपुर, नवप्रदेश। जन्मपत्री में अगर गुरु कमजोर (Astrology) है तो व्यक्ति को कई प्रकार के कष्ट भुगतने पड़ते हैं। वह न तो धन कमा पाता है, न ही उसे वैवाहिक जीवन का सुख मिलता है। और तो और वह नौकरी में किसी उच्च पद पर भी नहीं पहुंच पाता है।
इसलिए कुंडली में गुरु को हमेशा मजबूत रखना (Astrology) चाहिए।
पीला रंग,स्वर्ण,वित्त और कोष,कानून,धर्म,ज्ञान,मंत्र,ब्राहमण और संस्कारों को नियंत्रित करता है.
इसलिये गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।
शरीर में पाचन तंत्र,और आयु की अवधि को निर्धारित (Astrology) करता है.
पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.
-अच्छे कार्य करने के बाद भी अभ्यास मिलता है
-सोने की कोई भी चीज हो जाती है या गिरवी रखनी पड़ जाती है या फिर बेचना पड़ जाता है
-व्यक्ति के द्वारा पूजा व्यक्ति या धार्मिक क्रियाओं का अनजाने में ही अपमान हो जाता है या कोई धर्म ग्रंथ नष्ट होता है
-सिर के बाल कम होने लगते हैं अर्थात व्यक्ति गंजा होने लगता है दिया हुआ वचन पूरा नहीं होता है तथा असत्य बोलना पड़ता है।
-सिर में जहां पर छोटी होती है वहां पर गंजा हो जाता है।
– बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं।
– विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं।
– व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होता है,कैंसर और लीवर की सारी गंभीर समस्याएँ बृहस्पति ही देता है।
– संतान पक्ष की समस्याएँ भी परेशान करती हैं।
– व्यक्ति सामान्यतः निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है। और बड़ों का सम्मान नहीं करता।
बृहस्पति के शुभ होने के लक्षण क्या हैं?
– व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है,अपार मान सम्मान पाता है।
– व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से बच जाता है।
– ऐसे लोग आम तौर पर धर्म , कानून या कोष (बैंक) के कार्यों में देखे जाते हैं।
– अगर बृहस्पति केंद्र में हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो व्यक्ति की सारी समस्याएँ गायब हो जाती हैं।
उपाय करें अगर बृहस्पति कुंडली में खराब है तो।
– बृहस्पतिवार का उपवास रक्खें , इस दिन नमक का सेवन न करें
– घर के पिछले हिस्से में केले का पेड़ लगाएं और रोज प्रातः उसमे जल डालें
– नित्य प्रातः विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी होता है
– नित्य प्रातः हल्दी मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें
– बरगद की जड़ को पीले धागे में लपेट कर गले में धारण करें
– भोजन में हल्दी का प्रयोग जरूर करें
– नित्य सूर्योदय के पूर्व गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें
नोट —-
अपनी कुंडली में यह जरूर देखें कि गुरु कौन से भाव में बैठा हुआ है ।
गुरु की अपनी दो राशि होती है धनु और मीन
लग्न और भाग्य भाव देख कर के ही हमेशा उपाय करने चाहिए। किसी भी ग्रह का जब तक आप को पता ना हो गुरु ग्रह कहां बैठा हुआ है अनजाने में कोई भी उपाय ना करें। उच्च ग्रह का कोई भी दान ना करें।