- 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे
भिलाई। छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा उठाया है। दुर्ग में उन्होंने कहा कि यह देश की आवश्यकता है। यदि साल 1952 से लेकर 1967 तक के इतिहास को देखा जाए तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं। उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए कहा कि, पहले यही प्रावधान था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही मतदाता सूची पर हों।
1967 के बाद सरकारें आती जाती रहीं और फिर संविद सरकारों का दौर चल गया। उसके बाद यह परिवर्तन हुआ। अब फिर से लोकसभा विधानसभा चुनाव एक साथ हों। उसके बाद नगरीय निकाय और नगरी पंचायत के दो चरणों में चुनाव हों। यही देश की आवश्यकता है। इसमें समय और पैसा बचता है। मतदाता सूची का प्रकाशन बार-बार नहीं करना पड़ेगा। बार-बार प्रदेश में 15-15, 20-20 दिन आचार संहिता के चक्कर में विकास की गति प्रभावित नहीं होगी।
इस पर किसी को परहेज नहीं होना चाहिए। आगे निर्णय जनता को करना है। वन नेशन वन इलेक्शन संसद में बहुमत से पारित हो गया है। सांसदों की कमेटी जेपीसी-6 माह तक इसका अध्ययन करेगी। उन्होंने कहा कि धान के मुद्दे पर कांग्रेस क्या घेरेगी पूरा धान खरीदा जाएगा। राइस मिलर्स थोड़ा इधर-उधर हो रहे थे जिन्हें भी ठीक कर दिया गया है। दो नए मंत्रियों की नियुक्ति पर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह कम का विशेषाधिकार है।
इस दौरान विधायक गजेंद्र यादव, ललित चंद्राकर,डोमनलाल कोसेवाडा, भाजपा जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता गण मौजूद रहे।
जब डॉ. रमन से यह पूछा गया कि उनके 15 साल और विष्णुदेव साय के एक साल के कार्य की तुलना की जाए तो कौन बेहतर है। इस सवाल को उन्होंने हंसी में टाल दिया। उन्होंने कहा 15 साल और 1 साल के कार्य की तुलना नहीं होती है। पहले विष्णु देव सरकार के 15 साल होने दो उसके बाद तुलना करेंगे।
प्रदेश में सरकार कौन चला रहा है। सवाल के जवाब में डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में सरकार मुख्यमंत्री साय अच्छी तरह से चला रहे हैं। इसमें कोई मुकाबला नहीं है। यदि हिंदुस्तान के सभी मुख्यमंत्री अपने 1 साल में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सूची जारी करें, तो देश का कोई भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं जो विष्णु देव साय के मुकाबले कार्य किया हो।