यशवंत धोटे/रायपुर/नवप्रदेश। Assembly Elections : आगामी वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक दल अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर चुके हैं, उनकी तैयारी से एक बात तो तय है कि एक-एक सीट और एक-एक वोट के लिए घना संघर्ष होना दिखता है। भाजपा का हाल ठीक वैसा ही है जैसे 2018 में जनवरी में कांग्रेस का आक्रमक रूख था। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस इतनी आक्रमक थी कि उन्हें स्वयं जेल जाना पड़ा। प्रदेश भर में उनके समर्थकों के साथ हुई पुलिसिया मारपीट की घटनाएं चर्चित रही।
मिसाल के तौर पर बिलासपुर में अटल श्रीवास्तव और शैलेष पांडेय (Assembly Elections) के साथ पुलिस की मारपीट के बाद अध्यक्ष की हैसियत से भूपेश बघेल सीधे बिलासपुर पहुंच गए थे। आगामी 17 दिसंबर को भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री के तौर पर चार साल पूरे हो रहे हैं। हालांकि उनकी चुनावी तैयारी का आगाज हो चुका है, लेकिन भाजपा के संगठनात्मक और जातिगत समीकरण कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का बदलाव और उसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी का पुनर्गठन इस बात के संकेत है कि भाजपा अब एक-एक सीट और एक-एक वोट के लिए लडऩे आतुर है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का छत्तीसगढ़ प्रवास कार्यकर्ताओं में ऊर्जा तो भर गया, लेकिन चुनाव तक इस ऊर्जा को बनाए रखना, भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय स्वयं संघ की तीन दिवसीय बैठक का लब्बोलवाब भी यह है कि यह है कि धरातल पर काम करने वाले स्वयं सेवकों और प्रचारकों को आगाह कर दिया गया है कि आदिवासी क्षेत्र में सक्रिय हो जाए और धरातल पर काम करते रहे। संघ के विभिन्न अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारियों को काम दिया गया है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनाना है।
बहरहाल कांग्रेस (Assembly Elections) की सत्ता व संगठन का लक्ष्य न केवल सरकार बचाना बल्कि 2018 जैसे बंपर जनादेश के साथ सत्ता में आना है। इसलिए एक-एक सीट और एक-एक वोट के लिए घने संघर्ष की तैयारी कांग्रेस भी कर रही है। अजीत जोगी की पार्टी जोगी कांग्रेस का फिलहाल तो कुछ नहीं दिख रहा है। अलबत्ता आम आदमी पार्टी अपने एक राज्यसभा सांसद के मार्फत राज्य में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन एक समय बाद यह किसी प्रमुख राजनीतिक दल के लिए वोट कटुआ का काम कर सकती है।