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वो सबकुछ जो जेटली के बारे में आप जानना चाहते हैं

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नई दिल्ली/रायपुर/नवप्रदेश। पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली (arun jately) हमेशा ही भाजपा (BJP) के बड़े रणनीतिकार के रूप में उभरकर सामने आए। वर्ष 2002 में नरेंद्र मोदी (narendra modi) के गुजरात का विधानसभा चुनाव (assembly election) फतह करने में जेटली की बड़ी भूमिका रही। भाजपा महासचिव के रूप में उन्होंने आठ विधानसभा चुनावों का जिम्मा संभाला, जिनमें भाजपा को जीत मिली। वे 2012 में तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। 2014 में पंजाब के अमृतसर से लोकसभा का चुनाव हार गए। वे बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी रहे, लेकिन आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग कांड सामने आने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफ दे दिया।

भारत के एडिशनल सॉलीसिटर जनरल भी रहे:

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री व कारपोरेट मामलों के मंत्री रहे अरुण जेटली (arun jately) ने एशियान डेवलपमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में भी काम किया था। वे सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर वकील रहने के साथ ही भारत के एडिशनल सॉलीसिटर जनरल भी रहे। वर्ष 2002 व 2004 में जेटली ने भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी भी संभाली। वर्ष 2009 में राज्यसभा में नेता प्रतिप्रक्ष चुने जाने के बाद भाजपा की एक व्यक्ति एक पद की नीति के तहत उन्होंने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। मोदी-1 में जेटली ने कुछ समय के लिए रक्षामंत्री का भी पद संभाला। इससे पहले वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे।

वकील परिवार में हुआ जन्म :

अरुण जेटली (arun jately) का जन्म वकीलों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवार में हुआ। उनके पिता महाराज किशन जेटली भी वकील थे। उनका परिवार दिल्ली नारायण विहार में रहता था। जेटली की मां गृहणी होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। अरुण जेटली ने स्कूली शिक्षा दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल (1957-69) से हासिल की। वे पढ़ाई, वाद-विवाद व खेल खासकर क्रिकेट को लेकर काफी उत्साहित रहते थे। श्रीराम कॉलेज से कॉमर्स से स्नातक की उपाधी हासिल की। वे कॉलेज में एक प्रखर वक्ता होने के साथ ही स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई (1973-77)की। उनका विवाह संगीता जेटली के साथ हुआ, जिनके पिता-माता (गिरधारीलाल डोगरा व शकुंतला डोगरा) दोनों ही वकील थे।

1974 से शुरू हुआ राजनीतिक सफर :

जेटली (arun jately) के राजनीतिक जीवन का सफर 1974 में उस वक्त शुरू हुआ, जब उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष का चुनाव जीता। उस समय कांग्रेस की सत्ता का बोलबाला था, लेकिन जेटली ने बतौर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रत्याशी के तौर पर यह चुनाव जीतकर लोगों के मन में अपनी अमिट छाप छोड़ दी। वे जनता पार्टी की गतिविधियों से खासे प्रभावित हुए। इस तरह वे भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन में भी शामिल हो गए।

जेपी के अनुयायी थे, 19 माह तक काटी जेल:

जेटली (arun jately) जय प्रकाश नारायण के अनुयायी भी थे। वे उन्हें अपना मार्गदर्शक मानते थे। 1975 में जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल की घोषणा की, तब गिरफ्तार किए गए नेताओं में एक नाम जेटली (arun jately) का भी था। वे 19 माह तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहे। जेल में बिताए इस समय को जेटली अपने जीवन का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं क्योंकि इस दौरान उन्हें जेल में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से मिलने व उन्हें समझने का मौका मिला। 1977 में आम चुनाव में जब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, तब जेटली (arun jately) लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के संयोजक थे।

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