आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर देशभर के शीर्ष 20 प्रोजेक्ट में शामिल हुआ ये मॉडल
रायपुर/नवप्रदेश। Artifical Intelligence Competition : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की प्रतियोगिता में दो स्कूली छात्राओं द्वारा तैयार मॉडल का चयन किया गया। यह मॉडल किसानों की उस समस्याओं का समाधान करेगा, जो आमतौर पर उन्हें अधिक परेशान करता है। दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता में देशभर से चुने गए शीर्ष 20 प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ का यह मॉडल भी शामिल है। इसे महासमुंद जिले के नर्रा स्थित शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र वैभव देवांगन और धीरज यादव ने तैयार किया था। यह मॉडल फसलों में खरपतवार की पहचान करने में सक्षम है।
मेडल और प्रमाण पत्र देकर किया सम्मान
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने नई दिल्ली के भारतीय पर्यावास सेंटर में आयोजित समारोह में इन दोनों छात्रों को मेडल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। वैभव और दीपक ने भारतीय पर्यावास सेंटर नई दिल्ली में 29 और 30 नवंबर को आयोजित प्रदर्शनी में अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया था।
एक्सपर्ट ने लिया दोनों छात्रों का ऑनलाइन इंटरव्यू
अंतिम रूप से विजेता घोषित करने के पहले दोनों छात्रों का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ द्वारा ऑनलाइन साक्षात्कार लिया गया। प्रदर्शनी का अवलोकन केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी किया। इस अवसर पर विभाग के सचिव और डिजिटल इंडिया के सीईओ अभिषेक सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
देशभर से 50 हजार से ज्यादा छात्रों ने किया था रजिस्ट्रेशन
इस प्रतियोगिता (Artifical Intelligence Competition) के लिए कुल 52 हजार 628 छात्र पंजीकृत हुए थे। पहले चरण में 11 हजार 466 छात्रों ने प्रशिक्षण लिया। देश के 35 राज्य से 2 हजार 536 शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया गया। पूरे देश से 2 हजार 441 विद्यार्थियों से 2 हजार 704 आइडियाज जमा किए गए।
पहले चरण का परिणाम 12 जनवरी 2021 को जारी किया गया। दूसरे चरण के लिए 125 विद्यार्थी चुने गए थे। तीसरे चरण में 60 मॉडल चुने गए। इस चरण में छत्तीसगढ़ के दो मॉडल चुने गए थे। अब हुई प्रतियोगिता के बाद शीर्ष 20 में एक मॉडल का चुनाव हुआ।
वैभव-धीरज का मॉडल बताएगा खरपतवार की मात्रा और घनत्व
वैभव देवांगन और धीरज यादव ने खेती के काम में आने वाला मॉडल बनाया है। इन दोनों का मॉडल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग कर फसलों में खरपतवार की पहचान करेगा। वह न सिर्फ उनकी मौजूदगी बताएगा बल्कि उनका प्रकार, मात्रा और सघनता की भी जानकारी देगा। इसमें इस्तेमाल किया गया सॉफ्टवेयर खरपतवार नियंत्रण के लिए जरूरी सलाह भी देगा। खरपतवार ऐसे पौधे होते हैं जो किसानों के खेतों के लिए बेहद हानिकारक और अनुपयोगी होते हैं। यह ऐसे स्थान पर उग आते हैं, जहां पर इनकी आवश्यकता ही नहीं होती है। फसलों को दिया जाने वाला विभिन्न प्रकार के जैविक खाद, पोषक तत्व, जल इत्यादि को खरपतवार ग्रहण करके फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
लॉकडाउन दी थी जानकारी
स्कूल में इस तरह की गतिविधियों के लिए स्कोप बना है। विद्यालय के व्याख्याता सुबोध कुमार तिवारी ने लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की जानकारी दी थी। उन्हें इस तरह की प्रतियोगिता की जानकारी भी दी गई थी। कक्षाएं शुरू होने के बाद विद्यार्थियों ने इस तकनीक के उपयोग से कृषि प्रधान राज्य के किसानों की सुविधा के लिए प्रोजेक्ट बनाए।
ये है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
यह तकनीक फोन या कंप्यूटर में उपलब्ध शतरंद जैसे गेम, गूगल और एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट समेत रोबोट जैसे डिवाइस के रूप में मौजूद है। हालांकि, इस तकनीक पर अब भी काम चल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence Competition) दुनिया की श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है। यह दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस से मिलकर बनी है।
इसका अर्थ है “मानव निर्मित सोच शक्ति। इस तकनीक की सहायता से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है, जो मानव बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंस के बराबर होगा। इस तकनीक के माध्यम से अल्गोरिदम सीखने, पहचानने, समस्या-समाधान, भाषा, लाजिकल रीजनिंग, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग,बायोइंफार्मेटिक्स तथा मशीन बायोलाजी को आसानी से समझा जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। इस तकनीक ने काम को बहुत आसान बना दिया है। जो काम 100 इंसानी दिमाग मिलकर करते हैं उसे एक मशीन कुछ ही घंटों में कर देती है।