Article : दुनिया के बेशुमार लोकशाही के मुरीदों के लिए बुरी ख़बर है, हांगकांग के वाइस ऑफ डेमोक्रेसी कहे जाने वाले बहुप्रसारित एवम् बहुपठनीय टैब्लॉयड – एप्पल डेली आखिरकार ड्रैगन की दमनकारी नीतियों का शिकार हो गया। क्या कहें – हांगकांग की सबसे बड़ी आवाज। या कहें – लोकतंत्र के सबसे बड़े सिपाही। या कहें – लोकतांत्रिक व्यवस्था के सबसे बड़े स्तंभ को चीन के इशारे पर उसकी पिू नौकरशाही ने गिरा दिया है।
हांगकांग से छपने वाला सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अखबार (Article) एप्पल डेली पर ताला लग गया है। 2020 में जब पूरी दुनिया में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा हुआ था, उस वक्त चीन ने हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी कानून लागू किया था, जिसके तहत हांगकांग में हजारों लोकतंत्र समर्थकों को जेल भेज दिया गया, जिनमें लोकतंत्र के प्रबल समर्थक और हांगकांग की मीडिया के सबसे बड़ा चेहरा एवं टैब्लॉयड एप्पल डेली के संपादक जिमी लाई भी शुमार थे। एक साल से जिमी जेल में हैं।
अब उनका टैब्लॉइड अखबार एप्पल फिलहाल शटडाउन हो गया है। नेक्स्ट मीडिया का एप्पल डेली प्रमुख टैब्लॉइड है। मीडिया संस्थान की तरफ से कहा गया है, उसके सैकड़ों पत्रकार गिरफ्तार हैं। लाखों डॉलर की संपत्ति चीन की सरकार ने जब्त कर ली है। ऐसे में अब अखबार को बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। एप्पल डेली के बंद होने के बाद हांगकांग के प्रशासन के उन दावों की धज्जियां उड़ गई हैं, जिसमें कहा गया था, हांगकांग में जो नया कानून बनाया गया है, उससे प्रेस की स्वतंत्रता खत्म नहीं होगी। बकौल भारतीय शीर्ष अदालत, सरकार से असहमति देशद्रोह नहीं, यह लोकतंत्र का सार है।
सच यह है, असहमति लोकतंत्र का खूबसूरत आभूषण है। कहावत है, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। ड्रैगन के शासक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का आत्ममंथन करें तो यकीनन वे दमनकारी नीतियों को अलविदा कह देंगे, लेकिन ड्रैगन तो बापू के तीन बंदरों की मानिंद है, जिसकी आंख, नाक और मुँह बंद हैं। एप्पल डेली के जख्मों का दर्द हिंदुस्तानी मीडिया शिद्दत से अहसास कर सकता है,क्योंकि आपातकाल के नासूर और राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में इंडियन एक्सप्रेस पर अटैक की ज्यादती आज भी दिल-ओ-दिमाग में ताज़ा हैं।
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे हांगकांग (Article) में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए लोकतंत्र समर्थन हजारों कार्यकर्ताओं, उद्योगपतियों को गिरफ्तार कर लिया था। चीन के नए कानून के तहत हांगकांग में चीन की सरकार के खिलाफ एक शब्द लिखना या बोलना कानून जुर्म घोषित कर दिया गया। कम्युनिस्ट पार्टी ने हर उन लोकतंत्र पैरोकारों को जेल में डाल दिया , जो कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ थे। ड्रैगन के पिुओं ने लोकतंत्र समर्थकों को हर तरह से टार्चर किया है।
एक साल में हांगकांग के हजारों लोकतंत्र समर्थकों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशद्रोह, तोडफ़ोड़, अलगाव, आतंकवाद, विदेश ताकतों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर एकतरफा सुनवाई में उन्हें दोषी साबित किया गया। फिर उन्हें उम्रकैद की सदा सुनाई गई । हांगकांग में बेशक चुनाव करवाए गए लेकिन चीन की देखरेख में और लोकतंत्र समर्थकों को चुनाव में लडऩे ही नहीं दिया गया। अब हांगकांग में लीडरशिप चीन समर्थक है। भले ही वह यह दावा करती हो, हांगकांग में प्रेस की स्वतंत्रता अब भी बची हुई है,लेकिन एप्पल डेली के अचानक बंदी का ऐलान सभी के लिए शॉकिंग है।
हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी कानून लागू होने के बाद से एप्पल डेली धीरे-धीरे अपंग होता चला गया। लोकतंत्र (Article) समर्थक रैली में भाग लेने के लिए पहले से ही अखबार के संस्थापक जिमी लाई तो जेल की सलाखों के पीछे हैं ही,अब अखबार के शीर्ष संपादकों और अधिकारियों में से पांच पर एक ही तरह के अपराध को करने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है। बार – बार एप्पल डेली के दफ्तर पर छापा मारा जाता। अखबार पर विदेशी सरकारों को साथ देने का आरोप चस्पा किया जाता।
अखबार में छापा मारने के लिए एक साथ सैकड़ों पुलिस वाले दफ्तर पर धावा बोल देते। हाल ही में अखबार के दफ्तर से कंप्यूटर समेत तमाम उपकरण लेकर पुलिसवाले चले गए। पत्रकारों को डराया गया और जिन्होंने फिर भी झुकने से इनकार कर दिया, उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज में डाल दिया गया। आतंक का माहौल कर दिया। ऐसे में कई पत्रकारों ने यह कहते हुए रिजाइन कर दिया, अब काम करने का मतलब जेल जाना है। दमन का काम बेरोकटोक जारी रहा। जब अखबार के मुख्य संपादक को गिरफ्तार किया गया तो उसके अगले दिन एप्पल डेली ने 5 लाख अखबार की कॉपियां छापी तो सभी प्रतियां कुछ ही देर में बिक गई। हांगकांग की सड़कों पर अखबार खरीदने के लिए लोगों की लंबी – लंबी कतारें देखी गईं।
एप्पल को यह बेशुमार प्यार उसके रीडर्स का अनमोल तोहफा था। अखबार के पास अब ना काम करने के लिए पत्रकार बचे थे और ना ही पैसे। ड्रैगन के संकेत पर हांगकांग के निजाम ने टॉर्चर में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चंद दिनों पहले अखबार के भविष्य को लेकर बोर्ड की मीटिंग हो रही थी, उस वक्त भी न्यूजरूम में सैकड़ों पुलिसवाले आ धमके थे और दो जर्नलिस्ट को गिरफ्तार करके चले गए। इसके बाद अखबार ने घोषणा कि 26 सालों के बाद अब एप्पल डेली अखबार बंद हो जाएगा।
अंतत: 24/25 जून को शटडाउन भी हो गया। जिमी लाई ने 1995 में नेक्स्ट डिजिटल पब्लिशिंग की स्थापना की थी। एप्पल डेली अखबार का विजन साफ था…लोकतंत्र की आवाज बनना और कम्युनिस्ट पार्टी के काले कारनामों को बेनकाब करना। जिमी लाई मूल रूप से चीन के रहने वाले हैं लेकिन बेहद कम उम्र में ही चीन से भागकर वह हांगकांग आ गए थे।
अखबार (Article) के जरिए उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के काले कारनामों की इतनी तीखी आलोचना की, कि चीन की सरकार बौखला गई। यह सच है, हांगकांग में इस निडर अखबार की लोकप्रियता बेहद कम वक्त में चरम पर पहुंच गई थी,क्योंकि प्रो डेमोक्रेसी वालों के हर दिल अजीज इस अखबार ने अपनी ठोस संपादकीय से हांगकांग की विचारधारा पर गहरा प्रभाव डाला। लोकतंत्र के प्रबल समर्थक के रूप में विख्यात हो गया । इस अखबार ने हांगकांग में रहने वाले चीन के एजेंट्स को बेनकाब किया।