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चीन-पाक सीमा पर होगी तैनाती
नई दिल्ली । भारतीय वायुसेना को अपना पहला लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे गार्जियन मिला गया है। अमेरिका में एरिज़ोना के मेसा में बोइंग की फैक्टरी से पहला अपाचे भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए एस बुटोला को दिया गया। बोइंग एएच-64 ई अपाचे को दुनिया का सबसे घातक हेलीकॉप्टर माना जाता है। पिछले साल अमेरिका ने भारतीय सेना को छह एएच-64 ई हेलीकॉप्टर देने का वादा किया था और समझौते पर हस्ताक्षर किया था। खबरों की मानें तो भारत इसे चीन और पाकिस्तानी सीमा पर तैनात करेगा। बोइंग एएच-64 ई अपाचे एक साथ कई काम करने में सक्षम है।
अपाचे 365 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है। तेज गति के कारण यह दुश्मनों के टैंकरों के आसानी से परखच्चे उड़ा सकता है। अमेरिकी सेना के एडवांस अटैक हेलिकॉप्टर प्रोग्राम के लिए इस हेलीकॉप्टर को बनाया गया था। साल 1975 में इसने पहली उड़ान भरी थी। अमेरिकी सेना में इसे साल 1986 में शामिल किया गया था।
इस हेलीकॉप्टर में दो जनरल इलेक्ट्रिक टी700 टर्बोशैफ्ट इंजन लगे हैं इसमें आगे की तरफ सेंसर फिट है जिसकी वजह से यह रात के अंधेरे में भी उड़ान भर सकता है। अपाचे हर तरह की परिस्थिति और मौसम में अपने दुश्मन को मात दे सकता है। अपाचे को अमेरिका के अलावा इजरायल, मिस्त्र और नीदरलैंड की सेनाएं भी इस्तेमाल करती हैं।
इस हेलीकॉप्टर में हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलें लगी हैं। जिनके पेलोड इतने तीव्र विस्फोटकों से भरे होते हैं कि दुश्मन का बच निकलना नामुमकिन रहता है। इसके अलावा इसके दोनों तरफ 30एमएम की दो गन लगी हैं।
इसका वजन 5,165 किलोग्राम है। इसके अंदर दो पायलटों के बैठने की जगह होती है। इसमें हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले, इंटिग्रेटेड हेलमेट और डिस्प्ले साइटिंग सिस्टम लगा है। जिसकी मदद से पायलट हेलिकॉप्टर में लगी ऑटोमैटिक एम230 चेन गन से अपने दुश्मन को आसानी से टारगेट कर सकता है।
ज्ञात हो कि भारत ने साल 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर की डील अमेरिकी सरकार से की है। भारत ने अमेरिका के साथ 22 ऐसे हेलीकॉप्टर के लिए अनुबंध किया था। इससे पहले वायुसेना को चिकून हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर मिल चुका है।
संभावना है कि अपाचे की पहली खेप जुलाई तक भारत पहुंच जाएगी। इन्हें पठानकोट एयरबेस में लाया जाएगा जहां इनकी पहली स्चड्रन के इसी साल तैयार हो जाने की उम्मीद है। वायुसेना में अपाचे की कुल दो स्चड्रन तैयार की जाएंगी, दूसरी स्चड्रन असम के जोरहाट में तैनात की जाएगी।