Anupam khair : विफलता एक घटना है, कोई व्यक्ति विफल नहीं होता: अनुपम खेर

Anupam khair : विफलता एक घटना है, कोई व्यक्ति विफल नहीं होता: अनुपम खेर

नई दिल्ली, नवप्रदेश। “जन्म से ही कोई अभिनेता नहीं होता। स्कूल के नाटक में मेरा पहला अभिनय एक आपदा था। लेकिन मेरे पिता ने मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए शाम को फूल भेंट किए।”

ये बात प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने आज गोवा में आयोजित 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) से अलग ‘स्क्रीन और थिएटर के लिए अभिनय’ विषयवस्तु पर आयोजित मास्टरक्लास में कही।

अनुपम खेर ने अपने जीवन की यह कहानी सुनाई कि कैसे वे एक साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद एक सफल अभिनेता बने। उनका बचपन शिमला में बीता था, जहां वे एक संयुक्त परिवार में रहते थे।

उन्होंने इसे एक तरह का आशीर्वाद बताया, क्योंकि वहां बात करने के लिए लोग आसपास थे। अनुपम खेर ने कहा, “मैं अपने पिता और दादाजी को याद करता हूं। मेरे पिता कहा करते थे, ‘विफलता एक घटना है, कभी व्यक्ति नहीं’। जब तक मैं हार स्वीकार नहीं करता, तब तक मैं विफल नहीं हो सकता।”

इस सत्र में हिस्सा लेने वाले नवोदित अभिनेताओं को प्रोत्साहन देने वाले अपने एक उत्साहजनक संदेश में उन्होंने कहा कि जब तक गलतियां नहीं होतीं, तब तक कोई एक अभिनेता नहीं बन सकता। अनुपम खेर ने कहा, “गड़बड़ी करने से घबराना नहीं चाहिए।”

उन्होंने कहा कि अभिनय का प्रशिक्षण किसी अन्य क्षेत्र या पेशे की तरह ही महत्वपूर्ण है।  अनुपम खेर ने कहा, “प्रशिक्षण आपको आत्मविश्वास देता है, यह एक मोटर ड्राइविंग स्कूल की तरह है। यह डर को दूर करता है।” उन्होंने आगे यह भी बताया, “अभिनय का कोई पाठ्यक्रम नहीं है। यह मानव स्वभाव के बारे में है।

अगर मैंने प्रशिक्षण नहीं लिया होता तो, सारांश में एक 28 साल का नवोदित 65 साल के एक वरिष्ठ नागरिक की भूमिका कैसे निभाता।” उन्होंने यह बताया कि शूटिंग शुरू होने के बाद उनकी बहुत कम पटकथा में बदलाव किया गया।

अनुपम खेर का मानना है कि भारतीय सिनेमा हमारे मानस का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा, “पहले के समय में मनोरंजन का एकमात्र साधन फिल्में ही हुआ करती थीं।”

एक अच्छे अभिनेता को क्या परिभाषित करता है, इसके बारे में उन्होंने बताया, “एक अभिनेता को भावनाओं से पूर्ण होना चाहिए, जीवन से भरा होना चाहिए। एक अभिनेता के लिए तीन हथियार हैं- अवलोकन, कल्पना और भावनात्मक स्मृति।”

उन्होंने अभिनय के छात्रों को अपना संदेश दिया, “अगर आप अभिनय के साथ खेलते हैं, तो आप अधिक सीखेंगे।” अनुपम खेर ने नवोदित अभिनेताओं को सलाह दी।

उन्होंने कहा “एक अभिनेता को अपने आप को पूरी तरह मूर्ख बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब तक आप मूर्ख नहीं बन जाते, तब तक आप अभिनेता नहीं बन सकते। अभिनेताओं और व्यक्ति के रूप में खुद को गंभीरता से न लें।”

उन्हें कैसे याद किया जाना पसंद किया जाएगा, इस बारे में अनुपम खेर ने कहा, “एक शिक्षक के रूप में याद किया जाना सबसे बड़ी संतुष्टि है।” यह उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ अभिनेता ‘एक्टर प्रिपेयर्स’ नामक एक अभिनय स्कूल का संचालन करते हैं।

500 से अधिक फिल्में करने वाले इस वरिष्ठ अभिनेता ने कहा, “मैं अभी अपने करियर के मध्य में भी नहीं पहुंचा हूं।”

अनुपम खेर ने कहा, “आपको काम करते रहना चाहिए। आपको कुछ भी शुरू करने में सक्षम होना चाहिए। अपने ही दुश्मन नहीं बनें। कभी हारे हुए लोगों की तरह सोचने वालों के साथ नहीं बैठें। ऐसे लोगों से दोस्ती करें, जो आपसे बेहतर हों, जिनमें आप से अधिक ऊर्जा हो। अगर आप विशिष्ट होना चाहते हैं तो आपको हर दिन काम करना होगा।” यही मेरा जीवन दर्शन है।

वरिष्ठ अभिनेता ने जीवन पर एक और बात कही, “मुझे लगता है कि लोगों को अपनी यादें देनी चाहिए। यादें देना जरूरी है, हर पल जियो। हमारी एक आदत शिकायत करने की है। जीवन काम करने के बारे में है, आलोचना करने के लिए नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि जीवन एक यात्रा है, मंजिल नहीं।

थियेटर और सिनेमा में अभिनय के बीच के अंतर के बारे में उन्होंने सलाह दी, “थिएटर आपको एकाग्रता देता है। दर्शकों के अनुरूप आपको अपना अभिनय बदलना होता है, हालांकि संवाद और संकेत वही रहते हैं।

यह 40 दिनों के पूर्वाभ्यास के बाद आता है।” इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “संपन्नता प्रतिभा की सबसे बड़ी दुश्मन है।” उन्होंने आगे कहा कि “थियेटर में कोई रीटेक नहीं होता है। सिनेमा में रीटेक होते हैं, इसलिए कई लोग इसे हल्के में लेते हैं!

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