लंदन। चींटिया। चींटियों (ant) ने इंसानों से पहले ही कोरोना (corona) को तोड़ निकाल लिया था। पढ़कर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन यह हकीकत है। चींटियों (ant) के पास ऐसा सैनिटाइजर (sanitiser) भी है कि जो रोगाणुओं (pathogen) को खत्म करने में रामबाण उपाय है।
ये सैनिटाइजर (sanitiser) चींटियां कोरोना (corona) आने के बाद से नहीं बल्कि इसके काफी पहले से इस्तेमाल कर रही हैं। यहीं नहीं जिस सोशल डिस्टंसिंग (social distancing) का शब्द हम कोरोना (corona) के बाद इस्तेमाल कर रहे हैं, उस सोशल डस्टंसिंग का इस्तेमाल जंगली चींटियों की लाइफ स्टाइल का अभिन्न अंग है।
महामारी दौर में सोशल डिस्टंसिंग
जंगली चींटियों के लिए सोशल डिस्टंसिंग तब और अहम हो जाती है, जब महामारी का दौर होता। जंगली चींटियों की 11 कॉलानियों को लेकर हुए रिसर्च में यह बात सामने आ चकी है। महामारी के दौर में चींटियां एक दूसरे को पर्याप्त स्पेस देती हैं। इन 11 कॉलोनियों की चींटियों को जब संक्रमणकारी राेगाणु (pathogen) के संपर्क में लाया गया तो इन चींटियों के समूह ने एक दूसरे के सपर्क में आना कम कर दिया और यहां तक कि एक दूसरे के संपर्क में आना भी कम कर दिया।
इन चींटियों के समूह ने एक दूसरे के समहू के संपर्क में आना इस हद तक कम कर दिया कि संक्रमणकारी वायरस का फैलाव रुक गया । यहीं नहीं इंसानों की तरह चींटियां भी अपने यहां बुजुर्ग यानी रानी चींटी व कम उम्र की चींटियों की रक्षा भी करती है। इस संबंध की रिपोर्ट जर्नल ऑफ इवोल्यूशनरी बॉयोलॉजी व वर्ष 2018 में हुए एक अन्य अध्ययन में सामने आई है।
आशियाने को दो भागों में बांट देती है
रिसर्च के मुताबिक महामारी के वक्त पेड़ों पर रहने वाली चंटियां पत्तों का रोल बनाकर अपने आशियाने को दो भागों में विभक्त कर देती है। रहा सवाल अपने आशियाने को डिसइनफेक्ट करने का तो ये चींटियां पेड़ से िनकलने वाली राल में ही अपना जहर मिला देती है, जिसके संपर्क में आने पर रोगजनक विषाणु नष्ट हो जाते हैं। यहीं नहीं चींटियां एक महामारी के समय एक दूसरे को डिसइनफेक्ट भी करती हैं और जब अपने आशियाने में जाती है तो खुद को क्लीन करके जाती हैं।