रायपुर, नवप्रदेश : अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ डा. देबब्रत गुरुजी ज्योतिराचार्य के अनुसार जब कुंडली में राहु अथवा केतु में से किसी एक के साथ अथवा दृष्टि से मंगल ग्रह का संबंध बन जाए तो उस कुंडली में अंगारक योग (Angarak Yog) का निर्माण होता है।
कुंडली में अंगारक योग (Angarak Yog) वास्तु विशेषज्ञ डा. देबब्रत गुरुजी ज्योतिराचार्य के अनुसार जब कुंडली में राहु अथवा केतु में से किसी एक के साथ अथवा दृष्टि से मंगल ग्रह का संबंध बन जाए तो उस कुंडली में अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थान में हों। इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। लाल किताब में अंगारक योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है।
प्रभावित जातक
अंगारक योग (Angarak Yog) की पहचान जातक के व्यवहार से ही की जा सकती है। इसके प्रभाव में जातक अत्यधिक क्रोध करने लगता है। वह अपना कोई भी निर्णय लेने में असक्षम होते हैं लेकिन यह जातक न्यायप्रिय होते हैं। स्वभाव से यह जातक सहयोगी होते हैं। इस योग के प्रभाव में जातक सरकारी पद पर नियुक्त अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बनता है।
प्रभाव
अंगारक योग, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह अग्नि का कारक है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।
अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देने वाला होता है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम और पैसा कमाता है। इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
नुकसान
अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य संबंधियों से अनबन रहती है। अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है। इसके प्रभाव में जातक की दुर्घटना की संभावना होती है। वह रोगों से ग्रस्त रहता है एवं उसके शत्रु उन पर काले जादू का प्रयोग करते हैं। व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है।
उपाय
इस योग के प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखने से लाभ होगा।
इसके अलावा भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की आराधना करें।
हनुमान जी की आराधना करने से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होते हैं। यह एक उत्तम उपाय है।
राहु के बीज मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी होगा।
मंगल और राहु की शांति के लिए निर्दिष्ट दान करना लाभकारी होता है।
आंवारा कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं।
उज्जैन मे राहु ग्रह की शांति हेतु पूजा करवाये ।
चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
51 अभिमन्त्रिक नाग नागिन के चांदी के जोड़े बहते पानी मे बहा देवे
जातक को मेडिटेशन से लाभ होगा एवं किसी भी प्रकार के विवाद से दूर रहें।
सत्संग का आयोजन करें और अपने गुरु को घर पर बुलाएं।
किसी धार्मिक स्थल जाकर भगवान की आराधना करें।
चांदी का पेंडेंट मे मच्च मणि धारण करने से लाभ होगा।
रोज़ शाम को घर में दीया जलाएं।