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Ambedkar Image Controversy : “डॉ. आंबेडकर की छवि पर विवाद…लालू के जन्मदिन से संसद तक की सियासी लपटें…!”

पटना/नई दिल्ली, 21 जून| Ambedkar Image Controversy : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने बिहार सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। मामला सिर्फ एक वायरल वीडियो का नहीं, बल्कि भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की छवि से जुड़ी संवैधानिक गरिमा और सामाजिक सम्मान का है। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन समारोह के दौरान डॉ. आंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों के पास रखी गई थी। अब यह प्रकरण राजनीतिक आग में बदलता नजर आ रहा है।

आयोग ने मांगी पूरी रिपोर्ट, नहीं मिला जवाब तो कड़े कदम तय

NCSC ने बिहार सरकार से इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें घटना की तारीख, स्वरूप, एफआईआर की स्थिति, आरोपी व पीड़ित के नाम, गिरफ्तारी और जांच की प्रगति शामिल है। आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि रिपोर्ट नहीं (Ambedkar Image Controversy)आई, तो वह संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा — जिसमें व्यक्तियों को तलब करने और दस्तावेज मांगने का अधिकार है।

कैमरा एंगल’ बनाम ‘सच्चाई’ — RJD की सफाई से बढ़ा विवाद

RJD का कहना है कि यह महज कैमरा एंगल का भ्रम है। पार्टी का दावा है कि जिस चित्र को पैरों के पास बताया जा रहा है, वह वास्तव में हाथ में थामे था। RJD ने आरोप लगाया (Ambedkar Image Controversy)है कि BJP जानबूझकर एक इमोशनल मुद्दे को भड़का रही है।

शिवराज का तीखा हमला: “बाबा साहब के साथ किया गया अपमान माफ नहीं होगा”

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मुद्दे को संसद से लेकर सोशल मीडिया तक गर्म कर दिया। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति ने भारत को संविधान दिया, उसकी तस्वीर पैरों के पास रखना न सिर्फ अपमान है, बल्कि राजनीतिक पाखंड का पर्दाफाश भी।”

आंबेडकर सम्मान बनाम राजनीतिक प्रतीकवाद — असली सवाल क्या है?

इस विवाद से एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ (Ambedkar Image Controversy)है — क्या दलित प्रतीक केवल नारों तक सीमित रह गए हैं? क्या राजनीतिक दल डॉ. आंबेडकर की विरासत का इस्तेमाल कर रहे हैं या उसका सम्मान भी कर रहे हैं?

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