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Amazon vs Future Retail : सुप्रीम कोर्ट का अमेजॉन के पक्ष में फैसला,अंबानी को लगा बड़ा झटका

Amazon vs Future Retail: Supreme Court's decision in favor of Amazon, Mukesh Ambani got a big setback

Amazon vs Future Retail

नई दिल्ली। Amazon vs Future Retail : अमेजॉन के लिए एक बड़ी जीत में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फ्यूचर रिटेल के साथ उसके विवाद में ई-कॉमर्स दिग्गज के पक्ष में फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने माना कि आपातकालीन मध्यस्थ अवार्ड (इमर्जेसी आर्बिट्रेटर अवार्ड) भारतीय कानून में लागू करने योग्य है। न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन ने माना कि सिंगापुर इंटरनेशनल आर्ब्रिटेशन सेंटर (एसआईएसी) नियमों के तहत पारित इमर्जेसी अवॉर्ड भारत में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत लागू किया जा सकता है।

आपको बता दें कि मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल और किशोर बियानी की फ्यूचर ग्रुफ के बीच 24,713 करोड़ में डील हुई थी। लेकिन इस डील को लेकर अमेजन ने विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद मुकेश अंबानी को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।

शीर्ष अदालत ने कहा, “आपातकालीन मध्यस्थ अवार्ड का निर्णय मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 17 (1) के तहत अच्छा है और इस तरह के अवार्ड के लिए एकल न्यायाधीश के आदेश की धारा 17 (2) के तहत अपील नहीं की जा सकती है।”

सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को (Amazon vs Future Retail) रिलायंस रिटेल के साथ फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के विलय के लिए 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को चुनौती देने वाली ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अमेजॉन डॉट कॉम एनवी इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी और एफआरएल सौदे को लेकर एक कड़वी कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।

अमेजॉन ने तर्क दिया था कि सिंगापुर का आपातकालीन मध्यस्थ (ईए) अवार्ड वैध और लागू करने योग्य है। अमेजॉन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने रिलायंस-एफआरएल सौदे को हरी झंडी दे दी थी।

एफआरएल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने तर्क दिया था कि मध्यस्थता और सुलह पर भारतीय कानून के तहत ईए की कोई धारणा नहीं है और साथ ही, इस आशय का कोई मध्यस्थता (Amazon vs Future Retail) समझौता नहीं है। साल्वे ने जोर दिया कि भारतीय कानून के तहत ईए के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

8 फरवरी को, एक डिवीजन बेंच ने सौदे पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए एफआरएल और विभिन्न वैधानिक प्राधिकरणों को एकल-न्यायाधीश के निर्देश का पालन करने से रोक लगा दी थी।

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