Alliance Pressure : बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम परिणामों में अब सिर्फ पांच सप्ताह बाकी हैं, लेकिन महागठबंधन का समीकरण अभी भी उलझा हुआ है। छोटे सहयोगी दलों की बड़ी मांगों ने बड़े दलों के लिए स्थिति को और जटिल बना दिया है। सीट बंटवारे को लेकर बातचीत लगातार जारी है। इस बीच (Alliance Pressure) कांग्रेस ने बुधवार को दिल्ली में सोनिया गांधी की मौजूदगी में वर्किंग कमेटी की बैठक आयोजित कर अपने हिस्से की संभावित सीटों में से 25 प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं।
कांग्रेस का यह कदम न केवल सीट बंटवारे को लेकर राजद पर दबाव बढ़ाने वाला है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि यदि उसकी शर्तों पर सहमति नहीं बनती, तो वह पहले चरण की सीटों पर अपने प्रत्याशियों की एकतरफा घोषणा कर सकती है। साझा घोषणा तभी संभव होगी, जब सीट बंटवारे पर सहमति बन जाएगी। जाहिर है, कांग्रेस ने (Alliance Pressure) रणनीतिक दबाव बनाकर अपनी संभावनाओं की जमीन मजबूत कर ली है, जबकि राजद के लिए हर कदम पर संतुलन साधना अब एक बड़ी चुनौती बन गई है।
बैठक में कांग्रेस की नई रणनीति
दिल्ली में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य यह रहा कि कांग्रेस अपनी राजनीतिक स्थिति को केवल सहयोगी दल तक सीमित न रखे, बल्कि गठबंधन में निर्णायक भूमिका निभाए।
शीर्ष नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को अपनी सीटों पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता बनाए रखनी चाहिए, हालांकि सहयोगियों के साथ तालमेल भी उतना ही आवश्यक है। बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि अपने हिस्से की संभावित सीटों पर पार्टी के भीतर विमर्श पूरा हो चुका है और कई सीटों पर अंतिम मुहर भी लग चुकी है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री चेहरे की संयुक्त घोषणा 11 अक्टूबर को हो सकती है। वहीं, कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्य और किशनगंज सांसद मोहम्मद जावेद ने पुष्टि की कि 25 सीटों पर शीर्ष स्तर पर सहमति बन चुकी है। कांग्रेस अपने पुराने विधायकों पर भरोसा बरकरार रखते हुए 19 में से 17 विधायकों को दोबारा टिकट देने की तैयारी में है। यह कदम भी (Alliance Pressure) का संकेत माना जा रहा है।
राजद के लिए बढ़ी मुश्किलें
उधर, राजद नेता तेजस्वी यादव पहले से ही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की सीट मांग को लेकर असहज हैं। अब कांग्रेस के आक्रामक रुख ने उनकी चुनौती और बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि यदि महागठबंधन के भीतर सहमति नहीं बनती, तो इस गतिरोध को सुलझाने के लिए सोनिया गांधी और लालू प्रसाद को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, राजद के हिस्से में पशुपति पारस की पार्टी, वामदलों और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को समायोजित करने की जिम्मेदारी है। वहीं, कांग्रेस एक नए सहयोगी – आई.पी. गुप्ता की पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने की कोशिश कर रही है, जिससे उसके हिस्से का दबाव और बढ़ गया है। यही कारण है कि यह पूरा समीकरण (Alliance Pressure) का केंद्र बन गया है।
सीट फॉर्मूले पर खींचतान जारी
पिछले कुछ दिनों में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामदलों के बीच सीटों के अनुपात को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि वीआईपी को 20 सीटें और माले समेत सभी वामदलों को कुल 35 सीटें देने पर सहमति बन चुकी है।
पेच मुकेश सहनी की डिप्टी सीएम पद की मांग पर है। साथ ही कांग्रेस की मांग पर भी, जो अब 70 सीटों से घटकर 55-60 सीटों पर अड़ी हुई है, जबकि राजद का प्रयास कांग्रेस को इससे नीचे लाने का है। दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है, जिससे पूरा महागठबंधन (Alliance Pressure) के माहौल में फंसा हुआ है।