नई दिल्ली। Agneepath Scheme : सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है। अधिकांश विपक्षी दल इसके खिलाफ मैदान में डटे हैं। जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार की एक ‘चूक’ के डैमेज कंट्रोल के लिए प्रधानमंत्री मोदी के तमाम सिपहसालार मैदान में उतरे हैं। केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपाई मुख्यमंत्री, ‘अग्निपथ’ का बचाव कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, जो ईडी दफ्तर में लगातार पेशी दे रहे थे, उन्हें भी अग्निपथ पर मचे बवाल से ऑक्सीजन मिल गई है। अब कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ‘अग्निवीरों’ पर (Agneepath Scheme) फोकस कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं दूसरे मंत्रियों एवं मुख्यमंत्री लगातार इस मुद्दे पर सरकार का बचाव कर रहे हैं। यहां तक कि तीनों सेनाओं के चीफ भी अपने अपने तरीके से ‘अग्निपथ एवं अग्निवीर’ को बेहतरीन बताने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने अग्निपथ को लेकर केंद्र और भाजपा पर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है।
राहुल बोले- अग्निपथ-कृषि कानून- नोटबंदी-GST सबको नकारा
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, अग्निपथ को नौजवानों ने नकारा है, कृषि कानून को किसानों ने नकारा है, नोटबंदी को अर्थशास्त्रियों ने नकारा है और जीएसटी को व्यापारियों ने नकारा है। देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते, क्योंकि उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता। राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न दो साल से कोई सीधी भर्ती, न चार साल के बाद स्थिर भविष्य, न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनिए, इन्हे ‘अग्निपथ’ पर चला कर इनके संयम की ‘अग्निपरीक्षा’ मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
प्रियंका बोले- जल्दबाजी में युवाओं पर थोपी जा रही है योजना
प्रियंका गांधी ने लिखा, 24 घंटे भी नहीं बीते कि भाजपा सरकार को नई आर्मी भर्ती का नियम बदलना पड़ा। मतलब, योजना जल्दबाजी में युवाओं पर थोपी जा रही है। इस स्कीम को तुरंत वापस लीजिए। एयरफोर्स (Agneepath Scheme) की रुकी भर्तियों में नियुक्ति और रिजल्ट दीजिए। सेना भर्ती को (आयु में छूट देकर) पहले की तरह कीजिए। युवा कह रहे हैं कि ये चार साल का नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं। सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर सोच-विचार, बस मनमानी।