Afghanistan : पूरे दो दशक बाद अमेरिका की सेना ने अफगानिस्तान से अपना डेरा डंडा उठा लिया है। तालिबान द्वारा तय की गई डेड लाईन से एक दिन पहले ही अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यहां की सत्ता पर काबिज आतंकवादी संगठन तालिबान ने अपनी आजादी का जश्न रातभर हवाई फायर करके मनाया। जिससे काबुल में दहशत फैल गई।
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर भी कब्जा कर लिया, अब तालिबान की मर्जी के बगैर अफगानिस्तान से कोई भी उड़ान नहीं भर पाएगा। उधर अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापसी बुलाने के बाद बयान दिया है कि हमने इतिहास का सबसे बड़ा सैन्य अभियान खत्म कर दिया है और सारे अमेरिकीयों को अफगानिस्तान ने वापस बुला लिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने कहा है कि १८ दिनों के भीतर लगभग डेढ़ लाख अमेरिकीयों का वापस लाया गया है जो अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा एयर लिफ्ट है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई जारी रहेगी। बहरहाल अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब दुनिया के सामने यह सवाल मुंहबाएं खड़ा हो गया है कि अब अफगानिस्तान का क्या होगा?
अफगानिस्तान (Afghanistan) के लोग भयभीत है और तालिबान के शासन में वे खुद को सुरक्षित नहीं मान रहे है। यही वजह है कि काबुल हवाई अड्डे पर जब तक अमेरिक सेना मौजूद थी हजारों अफगानियों का हुजूम एयरपोर्ट पर उमड़ रहा था। हर कोई जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोडऩा चाहता था लेकिन अब अमेरिकी सेना लौट गई है और तालिबान की हुकूमत कायम हो गई है इसलिए अब कोई भी अफगानिस्तानी चाह कर भी देश नहीं छोड़ पाएगा।
अफगानिस्तान में हालत इस कदर खराब है कि लोगों के पास खाने पीने की भी दिक्कत हो गई है। बैंक सेवाएं बाधित रहने के कारण लोगों को पैसों की भारी किल्लत हो रही है नतीजतन लोग अपने घर के सामान सड़कों पर रखकर बेचने को मजबूर हो गए है। ऊपर से तालिबानी आतंक के साएं में उनका सांस ले पाना भी दुभर हो गया है।
अफगानिस्तान (Afghanistan) से मौजूद हालातों को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक ने यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि अब तालिबान अपना वादा पूरा करें और जो लोग अफगानिस्तान छोडऩा चाहते है उनकी वापसी सुनिश्चित करें। देखना होगा कि तालिबान अपना वादा निभाता है या नहीं।