Abhanpur Case : बीजेपी के जांच दल ने शासन से पूछे सवाल…?
रायपुर/नवप्रदेश। Abhanpur Case : अभनपुर के आमदी गांव में हुई हत्या एवं आत्महत्या की घटना के सन्दर्भ में भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता में भाजपा जांच कमेटी सदस्य विधायक व प्रदेश प्रवक्ता डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा, पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल, रायपुर ग्रामीण जिला अध्यक्ष अभिनेश कश्यप ने तथ्यों का खुलासा करते हुए कहा कि अभनपुर थानांतर्गत ग्राम आमदी में गंगू निषाद की हत्या 24 और 25 सितंबर की दरम्यानी रात हो गई।
गंगूराम के दो बेटे बड़ा पवन निषाद और छोटा तोरण है। पवन निषाद की (Abhanpur Case) दो पत्नियां हैं। पहली फुलेश्वरी, दूसरी गंगाबाई। पवन अपनी पहली पत्नी और पहली पत्नी से संतान नागेश और आकाश के साथ अलग रहता था। जबकि पवन की दूसरी पत्नी अपने पुत्र किसन और कन्हैया सहित अपने सास ससुर, देवर देवरानी के साथ रहती थी। पवन और उसके पिता गंगूराम (72) के बीच खेत के उपज और पैसों के लेनदेन का विवाद था क्योंकि परिवार के कुल 5 एकड़ खेत को पवन ही बतौर रेगहा बोता था।
पवन की दूसरी पत्नी गंगा के पुत्र किसन की नई मोटर सायकिल मार्च माह में रात के समय आग लगाकर जला दी गयी थी, उस मोटर सायकिल के बाजू में ही पवन की मोटर सायकिल भी रखी थी जिसे रात में ही पवन द्वारा हटाते उसकी दूसरी पत्नी ने देखा था और मोटर सायकिल पवन द्वारा ही जलाए जाने की शिकायत थाना में की गई थी। 25 सितंबर को जब गंगूराम के शव का पंचनामा आदि बनाया जा रहा था तब गंगूराम के छोटे पुत्र तोरण निषाद ने अपने पिता की हत्या अपने बड़े भाई पवन और अन्य द्वारा किये जाने का संदेह व्यक्त करते हुए पुलिस को सूचना दी थी।
पुलिस 25 सितंबर को दोपहर 3 बजे पवन और उसकी पहली पत्नी से पुत्र नागेश को पकड़ कर थाना ले गई और शाम को 6 बजे छोड़ दिया। गंगूराम के मृतक कर्म आदि हो जाने के सप्ताह भर बाद पवन की दूसरी पत्नी गंगाबाई अपने देवर, देवरानी और अपने पुत्र के साथ 7 अक्टूबर को थाना जाकर अपने ससुर के हत्यारों पर कार्यवाई की मांग करती है और पवन को छोड़ दिये जाने पर सवाल करती है। गंगाबाई ने बताया कि पुलिस कहती है कि हमने बड़े आदमी के कहने पर पवन, नागेश को छोड़ा है।
हम छोटे आदमी है। भाजपा द्वारा गठित जांच दल (Abhanpur Case) द्वारा पूछने पर कि, किस बड़े आदमी के कहने पर पुलिस ने छोड़ा, ये आपने पूछा क्या? तब गंगाबाई कहती है कि किसी धनेंद्र साहू के कहने पर छोड़े हैं, पीछे बैठा गंगाबाई का पुत्र कहता है कि हाँ धनेंद्र साहू ही कहा है पुलिस ने, शायद वो यहाँ का विधायक है, मुझे ज्यादा दिन नहीं हुए यहाँ रहते।
जांच दल का शासन से सवाल
1- गंगूराम की हत्या के संदेहियों को मात्र 3 घंटे में क्यों छोड़ दिया गया?
2- मोटर सायकिल जलाने की घटना की रिपोर्ट थाना में क्यों नहीं?
3- गंगूराम की हत्या में और कौन कौन हो सकते हैं, इसकी जांच क्यों नहीं?
4- हत्या जैसे अपराध में “बड़े” आदमी का प्रभाव क्यों?
5- पवन के सुसाइड नोट को गोपनीय क्यों रखा गया?
इस पूरे प्रकरण को देखने से लगता है कि सत्ता पक्ष के दबाव और प्रशासन की लापरवाही से दो लोगों की जान चली गयी। सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही। मोटर सायकिल जलाने की घटना के समय ही यदि पवन पर कार्यवाही हो जाती तो गंगूराम की हत्या नहीं होती और न ही पवन आत्म हत्या करता।
पूर्व में घोषित गौठान समिति के अध्यक्ष को हटाकर पवन को गौठान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने की जानकारी मिली है, इससे पता चलता है कि उसे सत्ता पक्ष के प्रभावशाली लोगों का वरदहस्त प्राप्त था।
मोटरसायकल जलाने की घटना, पर कार्यवाही नहीं होना, यहाँ तक कि रिपोर्ट भी दर्ज नहीं पाया जाना और हत्या के दिन 3 घंटे में छोड़ दिया जाना इस बात का प्रमाण है कि सत्ता पक्ष के हस्तक्षेप के चलते प्रदेश में आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। राजनीतिक आतंकवाद से प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमरा गई है।
पवन की दूसरी पत्नी गंगाबाई, उसके पुत्र, देवर भय में हैं कि कहीं कोई और घटना न हो जाये।
मांगें
1- गंगाबाई, उनके पुत्रों, देवर देवरानी को पूरी सुरक्षा प्रदान की जाय।
2- गंगूराम की हत्या में क्या और कोई शामिल है, इसकी जांच हो।
3- पूरे प्रकरण में स्थानीय विधायक और पुलिस की भूमिका की जांच हो।