Aaj-Bebaaq हाथरस को न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश और दुनिया में नई पहचान दिलाने वाले मूर्धन्य हास्य कवि काका हाथरसी अगर आज होते तो निश्चित रूप से हाथरस की घटना और इसके बाद हो रही नौटंकी पर तंज कसते।
यह बात अलग है कि काका हाथरसी के हसगुल्ले राजनीतिक विदूषकों को शायद हजम नहीं होते। Aaj-Bebaaq काका हाथरसी होते तो शायद यही कहते-
हाथरस में देखों बह रही राजनीति रस की धार, जिसे देखकर नेताओं की घुटनों तक टपक रही है लार, पक्ष और विपक्ष के बीच खींच गई है तलवार, दोनों ही एक दूसरे पर पूरी ताकत से कर रहे हैं प्रहार। Aaj-Bebaaq