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सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 90 साल के दादा, 42 साल पहले दूध में मिलावट का मामला

90 years old grandfather reached Supreme Court, case of adulteration of milk 42 years ago

suprem court

नई दिल्ली। suprem court: 42 साल पहले दूध में मिलावट करने के आरोप में 90 साल के एक बुजुर्ग को हाईकोर्ट ने सजा सुनाई है। अब उस शख्स ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने 29 साल बाद सजा सुनाई। यह कोर्ट केस वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है।

उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के 10 साल बाद इस व्यक्ति को पिछले महीने निचली अदालत ने गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट पर गिरफ्तार किया था। अब वह शख्स 90 साल का हो चुका है। इस सजा को चुनौती देते हुए उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच इस पर सुनवाई करेगी।

इस शख्स का नाम वीरेंद्र कुमार है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी 40 साल पहले उन्हें सजा सुनाई थी। उसे पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। कुमार ने अब उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की है और अपील पर फैसला आने तक जमानत मांगी है। मंगलवार को उनके वकील अजेश कुमार चावला के अनुरोध पर, न्यायमूर्ति अनिर्धा बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की।

7 अक्टूबर, 1981 को वीरेंद्र कुमार को दूध में मिलावट के आरोप में खाद्य निरीक्षकों ने पकड़ा था। तब वह 48 साल के थे। उसने दावा किया कि वह दूध विक्रेता नहीं बल्कि बस कंडक्टर के तौर पर काम कर रहा है। 29 सितंबर, 1984 को खुर्जा मजिस्ट्रेट ने उन्हें खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।

इसके खिलाफ उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की। 14 जुलाई 1987 को बुलंदशहर सत्र न्यायालय ने भी सजा बरकरार रखी। इसके बाद मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 26 साल तक चला। 30 जनवरी 2013 को हाईकोर्ट ने वीरेंद्र कुमार को भी दोषी करार दिया था।

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