78 Lakh Metric Ton Paddy : जब खेत में किसान अपने पैरों से मिट्टी तोड़ता है, तब वो सिर्फ फसल नहीं उगाता, वो भरोसे की एक नाजुक डोर भी बुनता है। और इस बार, छत्तीसगढ़ के किसानों की उस मेहनत को वो सुनवाई मिली है, जिसका इंतज़ार बरसों से था।
धान खरीदी की सीमा को बढ़ाकर 78 लाख मीट्रिक टन(78 Lakh Metric Ton Paddy) कर देना, एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि उन हाथों की इज़्ज़त है जो खेतों में मिट्टी और पसीने से इतिहास रचते हैं। किसानों को यह उम्मीद नहीं थी कि इस बार सरकार उनकी बात सुनेगी, लेकिन अब वे खुद को इस व्यवस्था का हिस्सा महसूस कर रहे हैं, न कि सिर्फ एक जरिया।
प्रदेश भर में यह खबर तेज़ी से फैल रही है, गांवों में चौपाल से लेकर मंडियों तक, और सोशल मीडिया पर भी किसान युवा इसे ‘धरतीपुत्रों की जीत’ कह रहे हैं। राज्य के लिए यह सिर्फ एक नीतिगत सफलता नहीं, बल्कि खेत से देश तक” की सोच का पहला ठोस पड़ाव है।
सरकार की तरफ से मिली यह स्वीकृति बताती है कि छत्तीसगढ़ अब सिर्फ खनिजों का राज्य नहीं, बल्कि देश की खाद्य-रक्षा नीति का मजबूत स्तंभ भी बन चुका है। ये फैसला राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के साथ-साथ ग्रामीण भारत के आर्थिक(78 Lakh Metric Ton Paddy) आत्मसम्मान की एक मजबूत बुनियाद है।